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लोकसभा चुनाव 2024- भाजपा ने तीन सीटों पर पूर्व सांसदों को फिर से बनाया प्रत्याशी

हरिद्वार। देश में लोकसभा चुनाव को लेकर प्रत्याशी अपनी चुनावी तैयारियों में लगे हुए है। तो वहीं भारतीय जनता पार्टी ने उत्तराखंड में पांच सीटों में से तीन सीटों पर पूर्व सांसदों को फिर से प्रत्याशी बनाया है। हरिद्वार और पौड़ी की सीटों पर अभी प्रत्याशियों के नाम की घोषणा नहीं की गई है। अगर बात कांग्रेस की करे तो उन्होंने अभी तक किसी भी सीट पर प्रत्याशी घोषित नहीं किया है। बता दे की इन सबके बीच उत्तराखंड की सियासत में कहीं कोई और दल नजर नहीं आ रहे है। हरिद्वार लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुके खानपुर विधायक उमेश कुमार को भी लोग मजबूत उम्मीदवार के रूप में देख रहे है।

हरिद्वार लोकसभा सीट पर कांग्रेस का इतिहास

उत्तराखंड प्रदेश गठन के बाद 2009 में कांग्रेस ने हरिद्वार लोकसभा सीट पहली बार जीत हासिल की। इससे पहले या बाद में कांग्रेस के लिए हरिद्वार लोकसभा सीट मात्र एक सुनहरा सपना बनकर रही है, जिसमे कांग्रेस प्रत्याशी ने किस्मत तो आजमाई लेकिन हार का सामना करना पड़ा। 2009 में जब कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में हरीश रावत जनता के बीच पहुँचे तो हरिद्वार की जनता ने उन्हें भारी मतों से वीजयी बनाकर संसद भेजने का काम किया।

जिसके बाद हरीश रावत केंद्र में मंत्री रहे और फिर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री भी बने। उत्तराखंड के सीएम रहते हरीश रावत ने 2014 के लोकसभा चुनाव में हरिद्वार सीट पर अपनी पत्नी को कांग्रेस प्रत्याशी बनवाया इस परिवारवाद के कारण कांग्रेस को हरिद्वार सीट पर हार का मुंह देखना पड़ा, इसके बाद हरिद्वार सीट कांग्रेस के लिए एक सपना बनकर रह गई। अब 2024 के लोकसभा चुनाव में फिर से हरीश रावत हरिद्वार सीट पर टिकट के लिए अड़े है. हालांकि कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष करण माहरा का नाम पर प्रबल दावेदार के रूप में लिया जा रहा।

उत्तराखंड में कांग्रेस ने 2017 का विधानसभा चुनाव हरीश रावत के नेतृत्व में लड़ा, खुद हरीश रावत दो सीटों से चुनाव लड़े जिसमे रावत को दोनो सीटो पर हार का सामना करना पड़ा, इसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में हरीश रावत नैनीताल सीट से चुनाव लड़े, जिसमे भी उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा। 2022 के उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस ने हरीश रावत के नेतृत्व में चुनाव लड़ा जिसमे कांग्रेस की बुरी तरह हार हुई खुद हरीश रावत भी विधानसभा का चुनाव हार बैठे। असम और पंजाब का प्रभारी रहते हुए दोनो प्रदेशो से कांग्रेस की विदाई हुई।

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