नई दिल्ली। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने सोमवार को बेरोजगारी के मुद्दे को लेकर मोदी सरकार पर जोरदार हमला बोला। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (BJP) पर संविदा व्यवस्था को लगातार बढ़ावा देने का आरोप लगाया और कहा कि विपक्षी गठबंधन इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस युवाओं के लिए नौकरी के बंद द्वार खोलेगा।
उन्होंने यह भी कहा कि विपक्षी गठबंधन द्वारा सरकारी विभागों में रिक्त पदों को भरने के लिए ठोस योजना तैयार की गई है। राहुल गांधी ने एक्स पोस्ट पर लिखा, ‘देश के युवाओं, एक बात नोट कर लो। नरेन्द्र मोदी की नीयत ही रोजगार देने की नहीं है। नए पद निकालना तो दूर वह केंद्र सरकार के खाली पड़े पदों पर भी कुंडली मारकर बैठे हैं।’
उन्होंने कहा कि अगर संसद में पेश किए गए केंद्र सरकार के आंकड़ों को ही मानें तो 78 विभागों में 9 लाख 64 हजार पद खाली हैं। राहुल गांधी ने दावा किया कि महत्वपूर्ण विभागों में ही देखें तो रेलवे में 2.93 लाख, गृह मंत्रालय में 1.43 लाख और रक्षा मंत्रालय में 2.64 लाख पद खाली हैं।
देश के युवाओं एक बात नोट कर लो!
नरेंद्र मोदी की नीयत ही रोज़गार देने की नहीं है। नए पद निकालना तो दूर वह केंद्र सरकार के खाली पड़े पदों पर भी कुंडली मार कर बैठे हैं।
अगर संसद में पेश किए गए केंद्र सरकार के आंकड़ों को ही मानें तो 78 विभागों में 9 लाख 64 हज़ार पद खाली हैं।…
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) March 4, 2024
उन्होंने सवाल किया, ‘क्या केंद्र सरकार के पास इस बात का जवाब है कि 15 प्रमुख विभागों में 30 प्रतिशत से अधिक पद खाली क्यों हैं? झूठी गारंटियों का झोला लेकर घूम रहे प्रधानमंत्री के अपने ही कार्यालय में बड़ी संख्या में अति महत्वपूर्ण पद खाली क्यों हैं?’
गांधी ने आरोप लगाया, ‘स्थाई नौकरी देने को बोझ मानने वाली भाजपा सरकार लगातार संविदा व्यवस्था को बढ़ावा दे रही है, जहां न सुरक्षा है और न सम्मान।’ राहुल गांधी ने कहा, ‘खाली पड़े पद देश के युवाओं का हक हैं और हमने इन्हें भरने के लिए एक ठोस योजना तैयार की है। इंडिया गठबंधन का संकल्प है, हम युवाओं के लिए नौकरी के बंद द्वार खोल देंगे।’
उन्होंने कहा, ‘बेरोजगारी के अंधेरे को चीरकर युवाओं के भाग्य का सूर्योदय होने वाला है।’ इससे पहले उन्होंने रविवार को भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान मध्य प्रदेश में एक जनसभा के दौरान दावा किया कि भारत की बेरोजगारी दर पाकिस्तान की तुलना में दोगुनी है और कहा कि यह स्थिति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की खराब वित्तीय राजनीति का परिणाम है।