नई दिल्ली। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को भारतीय अर्थव्यवस्था पर एक ‘श्वेत पत्र’ लोकसभा में पेश किया। उन्होंने बीती एक फरवरी को अंतरिम बजट पेश करते हुए अपने भाषण में कहा था कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) सरकार के 10 वर्षों के कार्यकाल (2004-14) में हुए आर्थिक कुप्रबंधन पर श्वेत पत्र जारी किया जाएगा।
निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को ‘श्वेत पत्र’ सदन में रखा। उन्होंने कहा, ‘मैं भारतीय अर्थव्यवस्था पर ‘श्वेत पत्र’ हिंदी और अंग्रेजी संस्करण में पेश करती हूं।’ सरकार के श्वेत पत्र में कहा गया कि वर्ष 2014 में अर्थव्यवस्था संकट में थी, तब श्वेत पत्र प्रस्तुत किया जाता तो नकारात्मक स्थिति बन सकती थी और निवेशकों का आत्मविश्वास डगमगा जाता।
पत्र में कहा गया कि संप्रग सरकार आर्थिक गतिविधियों को सहूलियत दे पाने में बुरी तरह नाकाम रही, इसने बाधाएं खड़ी की जिससे अर्थव्यवस्था आगे बढ़ नहीं पाई। 2014 से पहले के दौर की हरेक चुनौती से राजग सरकार के आर्थिक प्रबंधन एवं शासन के जरिये निपटा गया। जग सरकार ने पिछले 10 वर्षों में पूर्ववर्ती संप्रग सरकार द्वारा छोड़ी गई चुनौतियों पर सफलतापूर्वक काबू पाया।
इसमें कहा गया कि राजनीतिक और नीतिगत स्थिरता से लैस राजग सरकार ने पूर्ववर्ती संप्रग सरकार के विपरीत बड़े आर्थिक फायदों के लिए कड़े फैसले लिए। त्वरित समाधान करने के बजाय, राजग सरकार ने साहसिक सुधार किए। यूपीए सरकार को अधिक सुधारों के लिए तैयार एक स्वस्थ अर्थव्यवस्था विरासत में मिली, लेकिन अपने दस वर्षों में इसे नॉन-परफॉर्मिंग बना दिया।
क्या होता है श्वेत पत्र?
श्वेत पत्र के जरिए सरकारें एक दूसरे के कार्यकाल में हुए कार्यों की तुलना करती हैं। इसके अलावा अपने कार्यकाल में क्या सकारात्मक कदम उठाए गए इस बारे में बताया जाता है। ये एक रिपोर्ट होती है, जिसके जरिए सरकार की उपलब्धियों के बारे में बताया जाता है।