नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने गुरुवार को संवैधानिक पदों पर आसीन कुछ व्यक्तियों के आचरण पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा, “यह बेहद दुखद और चिंताजनक है कि संविधान की शपथ लेने के बावजूद कुछ लोग भारत मां को पीड़ा दे रहे हैं और राष्ट्रवाद के साथ समझौता कर रहे हैं।” उन्होंने इस आचरण को “निंदनीय और राष्ट्रविरोधी” बताया।
धनखड़ ने राजस्थान केन्द्रीय विश्वविद्यालय के छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि प्रत्येक भारतीय जब देश के बाहर कदम रखता है, तो वह भारतीय संस्कृति और राष्ट्रवाद का राजदूत होता है। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का उदाहरण देते हुए कहा कि उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भारत की प्रतिष्ठा को मजबूत किया, चाहे वह प्रतिपक्ष में ही क्यों न हों।
उन्होंने कहा, “मेरा कर्तव्य राजनीति से ऊपर है। भले ही हमारी विचारधाराएं अलग हों, लेकिन राष्ट्र सर्वोच्च होना चाहिए। जब देश के सामने चुनौतियां आती हैं, तो हम एकजुट होकर खड़े होते हैं।”
उपराष्ट्रपति ने भारत की प्रगति पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज भारत थल, जल, वायु और अंतरिक्ष में अपनी उपस्थिति दर्ज कर चुका है। उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के महत्व पर जोर देते हुए इसे देश के लिए एक निर्णायक पहल बताया और सभी राज्यों से इसे अपनाने का आग्रह किया।
कार्यक्रम में प्रोफेसर आनंद भालेराव, कुलपति, राजस्थान केन्द्रीय विश्वविद्यालय, और अन्य गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे।