नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने रविवार को संविधान की अवहेलना और लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति चिंता जताते हुए कहा कि भारत के इतिहास में आपातकाल एक काला अध्याय था। उन्होंने संविधान हत्या दिवस की चर्चा करते हुए इसे तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की तानाशाही मानसिकता का प्रतीक बताया, जिसने आपातकाल लगाकर लोकतंत्र का गला घोंट दिया।
धनखड़ ने कहा, “संविधान हत्या दिवस हमें याद दिलाता है कि 25 जून 1975 को आपातकाल लागू कर देश के नागरिकों के अधिकारों को कुचल दिया गया था। यह भारतीय लोकतंत्र के इतिहास का सबसे काला दौर था।”
उन्होंने संविधान और आरक्षण के महत्व पर भी चर्चा करते हुए कहा कि कुछ लोग आज भी आरक्षण को समाप्त करने की बात कर रहे हैं, जो संविधान के प्रति अवमानना है। उन्होंने कहा, “आरक्षण हमारे संविधान की आत्मा है और इसे समाप्त करने की कोई भी कोशिश संविधान के खिलाफ है।”
Hon'ble Vice-President, Shri Jagdeep Dhankhar addressed the gathering at the inauguration ceremony of Samvidhan Mandir at Elphinstone Technical High School and Jr. College, Mumbai today. @maha_governor @RamdasAthawale @MPLodha pic.twitter.com/ZgVXK2pYcW
— Vice-President of India (@VPIndia) September 15, 2024
इस मौके पर उपराष्ट्रपति ने बाबा साहब अंबेडकर को भारत रत्न देर से दिए जाने पर सवाल उठाते हुए कहा कि मंडल आयोग की सिफारिशें भी कई वर्षों तक लागू नहीं की गईं, जो एक अन्यायपूर्ण मानसिकता का परिणाम था।
उपराष्ट्रपति ने युवाओं को आपातकाल के दिनों के बारे में जागरूक करने की अपील की और कहा कि इस दिन को हमेशा याद रखना चाहिए ताकि भविष्य में कोई भी तानाशाही प्रवृत्तियां लोकतंत्र को खतरे में न डाल सकें।