नई दिल्ली। ईसीआई की ओर से इलेक्टोरल बांड डेटा के खुलासे में सामने आएं आंकड़ों के मुताबिक लाभार्थियों की सूची में बीजेपी टॉप पर है। इन आंकड़ों के आधार पर भाजपा के पक्ष में बड़े पैमाने पर दान के खुलासे ने राजनीति में पारदर्शिता, निष्पक्षता और ईमानदारी की प्रासंगिकता पर बहस शुरू हो गई है। आगामी 2024 के लोकसभा चुनाव से कुछ सप्ताह पहले भाजपा के भारी वित्तीय लाभ मिला है।
भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने कहा कि 1 अप्रैल, 2019 और 15 फरवरी, 2024 के बीच दानदाताओं द्वारा अलग-अलग मूल्यवर्ग के कुल 22,217 चुनावी बांड खरीदे गए, जिनमें से 22,030 बांड मूल्य के थे। राजनीतिक दलों ने 12,769.40 करोड़ रुपये भुनाए। 14 मार्च के आंकड़ों से पता चला कि अप्रैल 2019 से इस साल जनवरी तक भाजपा सबसे बड़ी प्राप्तकर्ता थी। मार्च 2023 तक पार्टियों द्वारा भुनाए गए सभी चुनावी बांडों में से भाजपा को 48 प्रतिशत से थोड़ा कम, लगभग 6,060 करोड़ रुपये मिले थे। दूसरी सबसे बड़ी लाभार्थी तृणमूल कांग्रेस थी, जिसे 1,609.50 करोड़ रुपये (12.6 प्रतिशत) मिले। इसके विपरीत, भारत की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस को लगभग 1,421 करोड़ रुपये (11 प्रतिशत) मिले थे।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने शुक्रवार को चुनावी बांड योजना को ‘दुनिया का सबसे बड़ा जबरन वसूली रैकेट’ कहा। राहुल ने दावा किया कि ईडी और सीबीआई अब स्वायत्त संस्थाएं नहीं हैं, बल्कि विपक्षी नेताओं को निशाना बनाने के लिए भाजपा और आरएसएस के हाथ में हथियार हैं।
एक्स पर एक पोस्ट में राहुल ने कहा, ‘नरेंद्र मोदी ने चुनावी बांड के नाम पर दुनिया का सबसे बड़ा जबरन वसूली रैकेट चलाया।’ ईडी, भारत का चुनाव आयोग या सीबीआई, अब भाजपा और आरएसएस के हाथों में हथियार हैं। अगर इन संस्थाओं ने अपना काम किया होता जैसा कि उन्हें करना चाहिए, चीजें इस हद तक नहीं पहुंची होतीं