नई दिल्ली: दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण का गंभीर संकट जारी है, जिससे राजधानी के निवासियों का सामान्य जीवन मुश्किल हो गया है। इस बीच, सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार, 25 नवंबर को प्रदूषण से संबंधित मामले की सुनवाई की।
स्कूलों और कॉलेजों पर सुप्रीम कोर्ट का निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) को निर्देश दिया है कि वह स्कूलों, कॉलेजों और शैक्षणिक संस्थानों की भौतिक कक्षाओं पर लगे प्रतिबंधों में ढील देने पर विचार करे। यह प्रतिबंध पिछले हफ्ते गंभीर वायु प्रदूषण के कारण लगाए गए थे।
छात्रों के मध्याह्न भोजन पर प्रभाव
न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा कि भौतिक कक्षाओं के निलंबन से कई छात्र मध्याह्न भोजन का लाभ नहीं ले पा रहे हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि कई घरों में एयर प्यूरीफायर नहीं हैं, जिससे इन घरों के अंदर और बाहर की हवा में कोई खास अंतर नहीं होता।
कक्षा 10 और 12 के छात्रों पर विचार
सुप्रीम कोर्ट ने CAQM को निर्देश दिया कि वह कक्षा 10 और 12 के लिए भौतिक कक्षाएं जारी रखने पर भी निर्णय ले। कोर्ट ने इस मामले में मंगलवार तक फैसला लेने का आदेश दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने उठाए अहम सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) के 600 तक पहुंचने पर गंभीर चिंता जताई। कोर्ट ने कमिश्नर से प्रदूषण रोकने के लिए उठाए गए कदमों पर रिपोर्ट पेश करने को कहा। न्यायालय ने सवाल किया कि क्या ऐसे चेक पोस्ट हैं जो प्रदूषणकारी ट्रकों के प्रवेश को रोकने का काम करते हैं।
माता-पिता की याचिका पर सुनवाई
हाशिए पर रहने वाले वर्गों और विशेष जरूरतों वाले बच्चों के माता-पिता ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर शारीरिक कक्षाओं को फिर से शुरू करने की मांग की थी। उन्होंने कहा कि समाज के निचले तबके के कई परिवारों के पास इंटरनेट और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों तक पहुंच नहीं है।
दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण की गंभीर स्थिति ने प्रशासन और न्यायपालिका को ठोस कदम उठाने पर मजबूर कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट का यह निर्देश प्रदूषण संकट और शिक्षा के बीच संतुलन बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।