एक तरफ जहां भारतीय जनता पार्टी थोक के भाव सांसदों की टिकट काटने जा रही है तो दूसरी ओर कांग्रेस यथास्थिति रखने वाली है। पार्टी के जानकार सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस इस बार शायद की किसी सांसद की टिकट काटेगी। राज्यों से भी सभी मौजूदा सांसदों के नाम की सिफारिश की जा रही है। कांग्रेस के साथ मुश्किल यह है कि उत्तर भारत के राज्यों में उसके गिनती के सांसद हैं। उनमें से भी झारखंड की सिंहभूम सीट से जीती कांग्रेस की सांसद गीता कोड़ा भाजपा में चली गई हैं तो उत्तर प्रदेश की रायबरेली सीट से जीतीं सोनिया गांधी चुनाव नहीं लड़ेंगी। वे राज्यसभा में चली गई हैं। इसलिए इन दो सीटों पर नए उम्मीदवार देने होंगे। मध्य प्रदेश में कांग्रेस के नकुलनाथ इकलौते सांसद हैं, जो छिंदवाड़ा से जीते थे। वे इस बार भी लड़ेंगे और छत्तीसगढ़ के दोनों सांसदों- कोरबा की ज्योत्सना चरणदास महंत और बस्तर के दीपक बैज को फिर से टिकट मिलेगी।
कर्नाटक में कांग्रेस सिर्फ एक बेंगलुरू ग्रामीण सीट से जीती थी। उप मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के भाई डीके सुरेश उस सीट से सांसद हैं और फिर से उनको ही इस सीट पर लडऩा है। केरल में कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ ने 19 सीटें जीती थीं, जिसमें 15 सीटें कांग्रेस की थी। इस बार केरल प्रदेश कमेटी ने सभी 15 मौजूदा सांसदों को फिर से टिकट देने का प्रस्ताव पार्टी आलाकमान को भेजा है। इसमें राहुल गांधी की वायनाड सीट भी है। तेलंगाना में कांग्रेस तीन सीटों पर जीती थी। रेवंत रेड्डी के मुख्यमंत्री बनने और एन उत्तम कुमार रेड्डी के मंत्री बनने से दो सीटें खाली हुई हैं। वहां नए उम्मीदवार होंगे लेकिन तमिलनाडु में सभी नौ सांसदों को रिपीट किए जाने की खबर है। बिहार में कांग्रेस एकमात्र किशनगंज सीट जीती थी, जहां से मौजूदा सांसद मोहम्मद जावेद को फिर से टिकट मिलेगी। पश्चिम बंगाल की दोनों सीटों- बहरामपुर और माल्दा दक्षिण पर मौजूदा सांसद- अधीर रंजन चौधरी और अबू हाशिम खां चौधरी ही चुनाव लड़ेंगे।