इज़राइल-ईरान युद्ध के बढ़ते खतरे से भारत की अर्थव्यवस्था और ऊर्जा सुरक्षा कैसे प्रभावित हो रही है, इस लेख में विस्तार से पढ़ें
वंशिका
जब भी हम मध्य पूर्व (Middle East) की ताकतवर सेनाओं की बात करते हैं, तो इज़राइल और ईरान का नाम सबसे पहले आता है। ये दोनों देश अपनी-अपनी सैन्य ताकत और रणनीति के जरिए पूरे क्षेत्र में असर डालते हैं। हालांकि दोनों की ताकत और सोच काफी अलग है।
इज़राइल एक छोटा लेकिन तकनीकी रूप से बहुत विकसित देश है। इसके पास दुनिया की सबसे आधुनिक सेनाओं में से एक है, जिसमें एयर डिफेंस सिस्टम, खुफिया नेटवर्क और स्मार्ट हथियार शामिल हैं। वहीं ईरान एक बड़ा देश है, जिसकी जनसंख्या ज्यादा है और जो मिसाइलों, बड़ी सेना और अपने समर्थक गुटों (जैसे हिज़्बुल्लाह और हामास) के जरिए अपनी ताकत दिखाता है।
हाल के वर्षों में इन दोनों देशों के बीच तनाव और गुप्त लड़ाई (proxy war) तेजी से बढ़ी है — खासकर सीरिया, लेबनान और गाज़ा में। इस संघर्ष में फिलहाल इज़राइल तकनीकी और रणनीतिक रूप से आगे दिखाई देता है, लेकिन ईरान भी लगातार अपनी स्थिति मजबूत कर रहा है।
इन दोनों देशों के बीच विवाद के कई कारण हैं। सबसे बड़ा कारण है कि इनकी धार्मिक और राजनीतिक सोच एक-दूसरे से बिल्कुल अलग है। ईरान एक शिया मुस्लिम देश है और इज़राइल को एक यहूदी राष्ट्र के तौर पर मान्यता नहीं देता। दूसरा बड़ा कारण है ईरान का परमाणु कार्यक्रम, जिसे इज़राइल अपने लिए खतरा मानता है और उसे रोकने की कोशिश करता है। साथ ही, ईरान हिज़्बुल्लाह और हामास जैसे गुटों को समर्थन देता है जो इज़राइल पर हमले करते हैं।
13 जून, 2025 को स्थिति और ज्यादा बिगड़ गई जब इज़राइल ने “ऑपरेशन राइजिंग लायन” के तहत ईरान के कई सैन्य, परमाणु और तेल केंद्रों पर बड़ा हवाई हमला किया। इस हमले में 200 से ज्यादा लड़ाकू विमान शामिल थे और इसमें कई ईरानी सैन्य अधिकारी, वैज्ञानिक और नागरिक मारे गए। जवाब में, ईरान ने भी इज़राइल पर 100 से ज्यादा मिसाइलें और ड्रोन से हमला किया, जिनमें तेल अवीव, यरूशलम और डिमोना को निशाना बनाया गया। हालांकि, इज़राइल के एयर डिफेंस सिस्टम ने ज्यादातर मिसाइलें रोक दीं।
यह संघर्ष अब सिर्फ दो देशों तक सीमित नहीं है। इसका असर पूरी दुनिया, खासकर भारत जैसे देशों पर भी पड़ रहा है। ईरान एक बड़ा तेल उत्पादक देश है, और अगर वहां से तेल की सप्लाई रुकती है, तो भारत में तेल-डीजल की कीमतें बढ़ सकती हैं, जिससे आम लोगों पर महंगाई का बोझ पड़ेगा।
भारत के दोनों देशों से अच्छे संबंध हैं — ईरान से तेल और चाबहार पोर्ट, और इज़राइल से रक्षा और तकनीकी सहयोग। इसलिए भारत के लिए यह संघर्ष बहुत संवेदनशील है। अगर हालात और बिगड़ते हैं, तो भारत को दोनों देशों के बीच संतुलन बनाए रखना मुश्किल हो सकता है। इसके अलावा, खाड़ी देशों में काम कर रहे लाखों भारतीयों की सुरक्षा पर भी खतरा आ सकता है।
इसी वजह से भारत जैसे देश इस टकराव को कम करने की कोशिश करते हैं और शांति की अपील करते हैं, ताकि युद्ध की नौबत न आए और दुनिया की स्थिरता बनी रहे।