सुरक्षा मानकों की अनदेखी पड़ी भारी, 02 मजदूरों को मौत
मथुरा। वृंदावन नगर निगम के अंतर्गत आने वाले परिक्रमा मार्ग श्याम कुटी के समीप सीवर लाइन डालने के दौरान मिट्टी की ढाह खिसकने से एक मजदूर सहित दो लोगों की मिट्टी में दबने के कारण दर्दनाक मौत होने का मामला प्रकाश में आया है। यह घटना शुक्रवार की रात्रि लगभग 11:00 बजे की बताई जाती है।इस मलबे के नीचे दबे दोनों मजदूरों को तत्काल सो सैया अस्पताल ले जाया गया। जहां डॉक्टरों ने उनको मृत घोषित कर दिया गया।
इस अप्रिय घटना से मजदूरों के परिवार में कोहराम मच गया है। दोनों मजदूरों को उपचार के लिए आगरा भी ले जाया गया था। नौरंगी लाल पुत्र वीरेंद्र सिंह निवासी फिरोजाबाद मजदूर का शव पोस्टमार्टम के लिए मथुरा ले जाया जा रहा है, जबकि मृतक विजय जो ठेकेदार का भाई था। उसका शव परिजन फिरोजाबाद ले गये। नगर निगम मथुरा-वृन्दावन के अन्तर्गत वार्ड सं.-34 में श्यामकुटी के पास से होकर गौरानगर को जाने वाली गली में सीवर लाईन विस्तार कार्य के समय कृष्णा मशीनरी ट्रेडर्स, फिरोजाबाद के दो मजदूरों की मिट्टी ढह जाने के कारण दबने से मौत हो गई। जिसमें एक मजदूर व दूसरा ठेकेदार का भाई है।
इस घटना होने के दौरान मौके पर कोई भी सुरक्षा उपकरण मौजूद नहीं थे। इसके अलावा विभाग के इंजीनियर भी अपने-अपने घरों में चैन की नींद सोए हुए थे। बताया जाता है, कि जलकल विभाग के अधिशासी अभियंता का ठेकेदार पर जल्द से जल्द काम करने का भारी दबाव था। चिकित्सकों के अनुसार दोनों मजदूरों के नाक़ मुंह में मिट्टी भर जाने से उनकी मृत्यु हुई है। मृतक मजदूर के परिजनों ने ठेकेदार के खिलाफ कोतवाली में तहरीर दी है। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है। अब सवाल यह उठता है कि बिना सुरक्षा उपकरणों के द्वारा काम करने की मंजूरी कैसे ठेकेदार को मिल गई ।इस घटना के लिए क्या जलकर विभाग जिम्मेदार है या जलकल के द्वारा नियुक्त अधिशासी अभियंता जो जिसकी देखरेख में काम हो रहा था वह जिम्मेदार है।
घटना किसी के साथ हो सकती है इसमें कोई दो राय नहीं है लेकिन भारतवर्ष में देखा गया है कि 80 परसेंट ठेकेदार मजदूरों से बिना सुरक्षा उपकरणों के काम करवाते हैं। जिससे मजदूरों की दुर्घटना होने की संभावना में अकाल मृत्यु हो जाती है। देश के प्रधानमंत्री, नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री, योगी आदित्यनाथ अकुशल मजदूरों और श्रमिकों के लिए विभिन्न विभागीय योजनाएं चला रहे हैं लेकिन लापरवाही की सिरे चढ़ जाती है।यह योजना सिर्फ ऑफिस की फाइलों में ही दफन है और जमीन पर उतरने में असमर्थ दिखाई पड़ती है ।