हंसा मीना
किसी भी देश की अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करने एवं मजबूती के लिए शिक्षा, कौशल विकास और रोजगार सरकार की प्राथमिकताओं में सबसे ऊपर होने चाहिए। इसी को ध्यान में रखते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने सातवें बजट 24-25 में युवा शक्ति को प्रोत्साहित किया है। विशेष रूप से महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए कौशल विकास पर सर्वाधिक ध्यान केंद्रित किया है। लोक सभा चुनाव से पूर्व भाजपा ने महिलाओं से ‘लखपति दीदी’ के तहत आर्थिक रूप से सशक्त बनाने का वादा किया था। मोदी के तीसरे कार्यकाल के प्रथम बजट में की गई महिला केंद्रित घोषणाओं में वह वादा पूर्ण होता नजर आ रहा है। प्रथम दृष्ट्या बजट रोजगारोन्मुखी प्रतीत हो रहा है क्योंकि इसमें सर्वाधिक ध्यान कौशल विकास पर दिया गया है। देश के श्रमबल में महिलाओं की भागीदारी 37 प्रतिशत है, इसे बढ़ाने के लिए वित्त मंत्री ने मुख्य रूप से तीन योजनाओं का प्रावधान बजट में किया है।
प्रथम-महिलाओं और लड़कियों के लिए कुल 3 लाख करोड़ रुपए का आवंटन, जो विभिन्न मंत्रालय मिलकर अगले एक वर्ष में खर्च करेंगे। द्वितीय-महिला रोजगार को बढ़ावा देने के लिए सरकार स्किलिंग प्रोग्राम चलाएगी। इसके लिए इंडस्ट्री मॉडल पर काम होगा। तृतीय-कार्यस्थल पर महिलाओं को सुरक्षा प्रदान करना। इसके लिए महिला बाल विकास विभाग के बजट में 2.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है। अब स्टार्टअप के लिए युवा महिलाओं को आसान मदद मिल सकेगी। प्रधानमंत्री इंटर्नशिप स्कीम के तहत सरकार पांच साल में टॉप कंपनियों में एक करोड़ युवाओं को कौशल प्रशिक्षण दिलाएगी। यहां एक साल में 5000 रु पए प्रति माह भत्ता मिलेगा। यह योजना कंपनियों के लिए स्वैच्छिक है। युवाओं को रोजगार के लिए यह बेहतरीन मौका है।
संपत्ति खरीदना व्यक्ति के जीवन का सबसे बड़ा सपना होता है, इस सपने में सहयोगी बनते हुए मोदी सरकार ने अपने पिछले कार्यकाल में गरीब परिवारों को रियायती दरों पर आवास की सुविधा प्रदान करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इसी कड़ी में आगे की राह को और आसान बनाते हुए बजट में पहली बार प्रावधान किया गया है कि, प्रॉपर्टी खरीदने पर महिलाओं को स्टाम्प ड्यूटी देने पर राष्ट्रीय स्तर पर छूट प्रदान की जाएगी। पिछले एक वर्ष में सोने-चांदी की कीमतों ने आसमान छू लिया था। इससे गरीब महिलाओं का आभूषण खरीदने का सपना धुंधला पडऩे लगा था। इस बार सात वस्तुओं पर कस्टम ड्यूटी घटाई गई है, जिनमें सोना-चांदी पर घटाई गई कस्टम ड्यूटी महिलाओं के लिए अधिक हितकर साबित होगी। बजट में आयातित सोना-चांदी पर कस्टम ड्यूटी 9 फीसद घटाई गई है जो पहले 15 फीसद थी। अब यह मात्र 6 फीसद लगेगी।
अब महिलाएं राहत की सांस ले पाएंगी और उनका आभूषण खरीदना पहले की अपेक्षा आसान हो जाएगा। बजट में महिलाओं को औद्योगिक जगत में ऊंची छलांग लगाने का अवसर प्रदान किया गया है। छोटे और मध्यम उद्योगों (एमएसएमई) के विकास की गारंटी देकर महिलाओं को उद्यमी बनने का अवसर प्रदान किया है। लघु उद्योग विकास बैंक से छोटे उद्योगों को लोन मिलना आसान होगा। एमएसएमई को संकटकाल में बैंक ऋण सुविधा जारी रखने के लिए नई व्यवस्था की गई है, इससे इनके बंद होने का खतरा टलेगा। एमएसएमई क्लस्टरों को सेवाएं देने के लिए सिडबी की नई शाखाएं खोली गई हैं। एमएसएमई का व्यवसाय जारी रखने और एनपीए होने से बचाने के लिए संवर्धित निधि से गारंटी देखकर ऋण प्रदान किया जाएगा।
एनडीए सरकार को विगत कार्यकाल में महिला आरक्षण एवं महिला केंद्रित योजनाओं से अच्छी प्रतिक्रिया मिली थी। चूंकि महिलाएं प्रत्यक्ष तौर इन योजनाओं से लाभान्वित हुई थीं। अत: वर्तमान सरकार को उम्मीद है कि आगामी दिनों में कुछ राज्यों में होने वाले चुनावों में भी उन्हें इसका लाभ मिल सकता है। एनडीए सरकार ने महिलाओं को अच्छी योजनाओं का लाभ देकर अपना वोट बैंक तो सुरक्षित किया ही है साथ ही भावनात्मक रूप से जुड़ाव भी मजबूत किया है।
बजट में महिलाओं को जो लाभ दिया गया है उससे प्रतीत हो रहा है कि सरकार का जो वोट बैंक छिटका है, बजट उसे कवर करने का पूर्ण प्रयास करेगा। बजट में प्रत्येक वर्ग को प्रत्येक क्षेत्र में लाभ देने का प्रयास किया गया। बजट को रोजगारोन्मुखी एवं युवा सोच को प्रोत्साहित करने वाला कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी। प्रकृति में ‘सृजन’ और बेहतरीन प्रबंधन की प्रतीक महिला परिवार का आधार स्तंभ होती है। यदि वह आर्थिक रूप से मजबूत है तो परिवार की नींव को दृढ़ता प्रदान करती है। इससे समाज को मजबूती मिलती है, और देश सुदृढ़ बनता है।