चंडीगढ़। 90 सदस्यीय हरियाणा विधानसभा के लिए 5 अक्टूबर को वोट डाले जाएंगे और नतीजे 8 अक्टूबर को घोषित होंगे। जैसे-जैसे चुनाव की तारीख करीब आ रही है, हरियाणा की राजनीति में रोज नए घटनाक्रम देखने को मिल रहे हैं। भाजपा ने अपने 9 वर्तमान विधायकों का टिकट काटकर उनकी जगह नए चेहरों को मैदान में उतारा है, जिससे राजनीतिक सरगर्मी और बढ़ गई है।
कांग्रेस ने विनेश फोगाट को उतारा मैदान में
कांग्रेस ने मशहूर रेसलर और ओलंपियन विनेश फोगाट को जुलाना विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाकर चुनाव को और रोमांचक बना दिया है। पार्टी में शामिल होने के एक दिन बाद ही विनेश को उम्मीदवार घोषित कर दिया गया। इससे कांग्रेस ने हरियाणा के राजनीतिक समीकरणों को नया मोड़ दिया है।
ओलंपिक मेडल जीतने से चूकीं विनेश
विनेश फोगाट एक जानी-मानी रेसलर हैं, जिन्होंने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई खिताब जीते हैं। हाल ही में वह पेरिस ओलंपिक में तकनीकी कारणों से पदक जीतने से चूक गईं। 2016 में भारत सरकार ने उन्हें अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया था।
बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ मोर्चा
विनेश फोगाट का नाम तब खासा चर्चा में आया जब उन्होंने साथी पहलवान बजरंग पूनिया और साक्षी मलिक के साथ मिलकर भारतीय कुश्ती संघ (WFI) के पूर्व अध्यक्ष और भाजपा नेता बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ यौन शोषण के आरोपों को लेकर मोर्चा खोला। इस मुद्दे पर पहलवानों ने जंतर-मंतर पर धरना दिया, जिसमें विपक्षी दलों के कई नेता भी शामिल हुए थे। बाद में केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर के साथ बातचीत के बाद धरना समाप्त किया गया।
कांग्रेस में शामिल होने के बाद जांच की मांग
विनेश के कांग्रेस में शामिल होने पर भारतीय कुश्ती संघ के वर्तमान अध्यक्ष संजय सिंह ने आरोप लगाया कि उनका आंदोलन कांग्रेस और हुड्डा परिवार के इशारे पर था। उन्होंने यह भी मांग की कि आंदोलन की जांच कराकर खिलाड़ियों पर मुकदमा दर्ज किया जाए। सिंह ने यह भी कहा कि बजरंग पूनिया चुनाव नहीं लड़ रहे हैं क्योंकि उन्हें ‘मठाधीसी’ करनी है।
विनेश और कांग्रेस पर असर
विनेश, साक्षी, और बजरंग के आंदोलन से हरियाणा में भाजपा के खिलाफ एक माहौल तैयार हुआ कि पार्टी बेटियों की इज्जत की परवाह नहीं करती। इसका असर लोकसभा चुनावों में भी देखा गया। अब जब विनेश और बजरंग कांग्रेस में शामिल हो गए हैं, यह सवाल उठता है कि क्या यह आंदोलन एक राजनीतिक साजिश का हिस्सा था? हरियाणा की जनता के बीच यह संदेश भी जा सकता है कि पहलवानों का आंदोलन भाजपा को घेरने की कोशिश थी। अब देखना होगा कि विनेश और बजरंग का कांग्रेस में शामिल होना पार्टी के लिए कितना फायदेमंद साबित होता है या कहीं यह दांव उल्टा तो नहीं पड़ जाएगा।