कौन हैं ओम बिरला जिन्होंने दूसरी बार लोकसभा स्पीकर बनकर रचा इतिहास?

नई दिल्ली। बीजेपी के ओम बिड़ला को एक बार फिर 18वीं लोकसभा के स्पीकर पद के लिए चुना गया है. ओम बिरला ने दूसरी बार लोकसभा स्पीकर बनकर इतिहास रच दिया है. अब से पहले देश में कोई भी सांसद लगातार दो कार्यकाल में स्पीकर नहीं रहा. ये फैसला आज बुधवार को संसद में ध्वनिमत से लिया गया. जिसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विपक्षी दल के नेता राहुल गांधी ओम बिरला को लोकसभा स्पीकर की कुर्सी तक लेकर गए.

ओम बिरला 17वीं लोकसभा में स्पीकर के पद पर रह चुके हैं. ओम बिरला ने मंगलवार (25 जून) को 18वीं लोकसभा में स्पीकर पद के लिए नामांकन भरा था. एनडीए के बहुमत के हिसाब से ओम बिरला की जीत को लगभग तय ही माना जा रहा था.

कौन हैं ओम बिरला?
ओम बिरला का जन्म 23 नवंबर 1962 को राजस्थान के कोटा शहर में हुआ था. उनके पिता का नाम श्रीकृष्ण बिरला और माता का नाम श्रीमती शकुन्तला देवी था. 11 मार्च 1991 को उन्होंने डॉक्टर अमिता बिरला से शादी की. आकांक्षा और अंजलि बिरला नाम की उनकी दो बेटियां हैं. ओम बिरला की पढ़ाई-लिखाई की बात करें तो उन्होंने साल 1986 में महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय से एम.कॉम. की डिग्री ली थी.

ओम बिरला बीजेपी के सीनियर नेता है और साथ ही वे 17वीं लोकसभा में स्पीकर पद को संभाल चुके हैं. उस समय वे सत्ता और विरोधी दल की सहमति के साथ चुने गए थे. लेकिन इस बार उन्होंने ध्वनिमत के साथ 18वीं लोकसभा का स्पीकर चुना गया है. लोकसभा चुनाव 2024 में ओम बिरला राजस्थान की कोटा बूंदी सीट से तीसरी बार सांसद के रूप में चुने गए हैं.

लगातार दूसरी बार लोकसभा अध्यक्ष बनने पर ओम बिरला के नाम एक नया रिकॉर्ड जुड़ गया है। वे देश के दूसरे ऐसे नेता बन गए हैं जो लगातार पांच साल स्पीकर रहने के बाद दूसरी बार स्पीकर बने हैं। लगातार दो बार चुने जाने और कार्यकाल पूरा करने वाले बलराम जाखड़ एकमात्र लोकसभा अध्यक्ष रहे हैं। हालांकि जीएम बालयोगी, पीए संगमा जैसे दिग्गज नेता भी दो बार लोकसभा अध्यक्ष बने थे लेकिन पूरे 5-5 साल के कार्यकाल पूरे नहीं किए। बलराम जाखड़ साल 1980 से 1985 तक और 1985 से 1989 तक अपने दोनों कार्यकाल पूरे किए थे।

कोटा से लड़ा था पहला चुनाव
बिरला ने 2003 में कोटा विधानसभा सीट से अपना पहला चुनाव लड़ा और पहले ही चुनाव में कद्दावर कांग्रेसी मंत्री शांति धारीवाल को 10101 वोटों से हराया।
फिर 2008 में कोटा दक्षिण विधान सभा सीट से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मंत्री राम किशन वर्मा को 24252 वोट से हराया। 2013 में भी कोटा दक्षिण से चुनाव जीते। अगले साल ओम बिरला को बीजेपी ने कोटा-बूंदी लोकसभा सीट से सांसद का टिकट दिया और बिरला ने कांग्रेस पार्टी से सांसद इज्यराज सिंह को 2 लाख 782 वोट से हराया। 2019 में भी बिरला इसी सीट से सांसद बने। इस बार भी यहीं से सांसद का चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे हैं।

बिरला का राजनीतिक जीवन
• जिला अध्यक्ष, भारतीय जनता युवा मोर्चा, कोटा (1987-91)
• प्रदेश अध्यक्ष, भारतीय जनता युवा मोर्चा, राजस्थान राज्य (1991-1997)
• राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, भारतीय जनता युवा मोर्चा (1997-2003)
• कोटा विधान सभा सीट से विधायक 2003 (पहले ही चुनाव में कद्दावर कांग्रेसी मंत्री शांति धारीवाल को 10101 वोट से हराया)
• कोटा दक्षिण विधान सभा सीट से विधायक 2008 (कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और कद्दावर मंत्री राम किशन वर्मा को 24252 वोट से हराया)
• कोटा दक्षिण विधान सभा सीट से विधायक 2013 (कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पीसीसी महासचिव पंकज मेहता को 49439 वोट से हराया)
• कोटा-बूंदी लोक सभा सीट से सांसद 2014 (2009 से 2014 तक कांग्रेस पार्टी से सांसद इज्यराज सिंह को वोट 2 लाख 782 वोट से हराया )
• कोटा-बूंदी लोक सभा सीट से सांसद 2019 (वरिष्ठ कांग्रेस नेता तथा विधायक रामनारायण मीणा को 2 लाख 79 हजार वोट से हराया)
• कोटा-बूंदी लोक सभा सीट से सांसद 2024 (भाजपा से बागी होकर कांग्रेस में शामिल हुए पूर्व विधायक प्रहलाद गुंजल को 42 हजार वोट से हराया)
• कोटा के इतिहास में वैद्य दाऊदयाल जोशी के बाद लगातार तीन विधान सभा और तीन लोक सभा चुनाव जीतने वाले पहले जनप्रतिनिधि।

लोक सभा अध्यक्ष के रूप में उपलब्धियां
•19 जून 2019 को सर्वसम्मति से 17वीं लोक सभा के अध्यक्ष निर्वाचित हुए।
• संसद के नए भवन का निर्माण हुआ।
• 17वीं लोक सभा की उत्पादकता 97% रही जो पिछले 25 वर्षों में सर्वाधिक है।
• कोरोना महामारी के बीच आयोजित 17वीं लोक सभा के चौथे सत्र की उत्पादकता 167% रही जो लोक सभा के इतिहास में सर्वाधिक है।
• संसद के संचालन में वित्तीय अनुशासन को प्रोत्साहित कर 801 करोड़ की बचत की गई।
• 17वीं लोक सभा के दौरान 222 विधेयक कानून बनें जो पिछली तीन लोक सभा में सर्वाधिक है।
• 17वीं लोक सभा के दौरान विधेयकों पर कुल 440.54 घंटे चर्चा हुई जो पिछली चार लोक सभा में सर्वाधिक है।
• 17वीं लोक सभा के दौरान विभिन्न विधेयकों पर कुल 2910 सदस्यों ने चर्चा की जो पिछली चार लोक सभा में सर्वाधिक है।
• ज्ञान के समृद्ध कोष संसद की लाइब्रेरी को दिनांक 17 अगस्त 2022 से आमजन के लिए खोल दिया गया।

 

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