लोकसभा चुनाव में किन पार्टी बदलने वाले नेताओं को मिली जीत और किसको करना पड़ा हार का सामना?

नई दिल्ली। इस बार का लोकसभा चुनाव कई मायनों में काफी खास रहा. चुनाव के एक्जिट पोल पूरी तरह से गलत साबित हुए. जिसमें यह बताया जा रहा था कि भाजपा की पूर्ण बहुमत वाली सरकार बनने जा रही है और एनडीए का आंकड़ा 350-400 तक पहुंच सकता है. बीते दो चुनावों में कांग्रेस का प्रदर्शन खराब होने की वजह से बहुत से नेता कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए.

केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, उद्योगपति नवीन जिंदल और उत्तर प्रदेश के लोकनिर्माण मंत्री जितिन प्रसाद उन दलबदलुओं में शामिल हैं, जिन्होंने लोकसभा चुनाव 2024 में जीत हासिल की है, जबकि अशोक तंवर, सीता सोरेन और परनीत कौर उन लोगों में शामिल हो गए हैं, जो भाजपा में शामिल तो हुए, लेकिन जीत नहीं हासिल कर सके.

गुना से 5 लाख से अधिक वोटों से जीते सिंधिया
मध्य प्रदेश के गुना निर्वाचन क्षेत्र से उड्डयन मंत्री सिंधिया पांच लाख से अधिक मतों के अंतर से जीते. सिंधिया 2019 में कांग्रेस के टिकट पर गुना से चुनाव लड़े थे, लेकिन भाजपा के केपी सिंह यादव से हार गए थे. गुना को सिंधिया परिवार का गढ़ माना जाता रहा है. गुना का प्रतिनिधित्व उनकी दादी विजया राजे सिंधिया कर चुकी हैं, जिन्हें ग्वालियर की राजमाता के रूप में जाना जाता रहा है. उन्होंने इस सीट से 1989 से 1998 तक लगातार चार बार जीत हासिल की थी.

बता दें, सिंधिया ने 2020 में कांग्रेस के खिलाफ विद्रोह कर दिया और मध्य प्रदेश में अपने 22 समर्थक विधायकों के साथ भाजपा में शामिल हो गए, जिसकी वजह से भाजपा फिर से सूबे की सत्ता हासिल की.

कुरुक्षेत्र से 29,000 वोटों से जीते नवीन जिंदल
उद्योगपति और दो बार सांसद रह चुके नवीन जिंदल इस साल मार्च में भाजपा में शामिल हुए थे और कांग्रेस से दो दशक पुराना नाता तोड़ लिया था. उन्होंने हरियाणा के कुरुक्षेत्र से 29,000 से ज्यादा वोटों से जीत दर्ज की.

1.64 लाख से अधिक मतों से जीते जितिन प्रसाद
उत्तर प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता स्वर्गीय जितेन्द्र प्रसाद के पुत्र जितिन प्रसाद तीन साल पहले कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे. उन्हें मौजूदा सांसद वरुण गांधी के स्थान पर पीलीभीत लोकसभा क्षेत्र से मैदान में उतारा गया और उन्होंने 1.64 लाख से अधिक मतों के अंतर से जीत हासिल की.

सिरसा से हारे अशोक तंवर
इस वर्ष की शुरुआत में भाजपा में शामिल हुए हरियाणा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अशोक तंवर सिरसा से कांग्रेस की कुमारी शैलजा से 2.68 लाख से अधिक मतों के अंतर से चुनाव हार गए.

बता दें, अशोक तंवर ने 2019 में कांग्रेस छोड़ दी थी और 2022 में आप में शामिल हो गए थे. इस बीच, पूर्व लोकसभा सांसद ने अपनी पार्टी बनाई और कुछ समय के लिए तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) में भी शामिल हुए.

दुमका से हारीं सीता सोरेन
इस साल मार्च में भाजपा में शामिल हुई झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) की विधायक सीता सोरेन दुमका से 22,000 से अधिक मतों के अंतर से चुनाव हार गईं. वह झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की भाभी हैं.

परनीत कौर को भी मिली हार
इसी साल भाजपा में शामिल हुईं पूर्व केंद्रीय मंत्री परनीत कौर पटियाला से चुनाव हार गईं. वह इस सीट पर पहले चार बार जीत चुकी थीं. लेकिन अबकी बार परनीत कौर तीसरे स्थान पर रहीं और लगभग 16,000 वोटों के अंतर से हार गईं.

रवनीत बिट्टू भी नहीं बचा पाए लुधियाना सीट
कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर 2019 में जीतने वाले और मार्च में भाजपा में शामिल हुए रवनीत बिट्टू अपनी लुधियाना सीट नहीं बचा पाए. वह कांग्रेस के अमरिंदर सिंह राजा से 20,000 से अधिक मतों से हार गए.

जालंधर सीट नहीं बचा पाए सुशील रिंकू
निवर्तमान लोकसभा में आम आदमी पार्टी के लोन सांसद रहे सुशील रिंकू भी चुनाव से पहले भाजपा में शामिल हो गए. वह भी अपनी जालंधर सीट नहीं बचा पाए. उन्हें पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कांग्रेस के चरनजीत सिंह चन्नी ने हराया.

 

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