लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा द्वारा पारित किया गया उत्तर प्रदेश नजूल सम्पत्ति (लोक प्रयोजनार्थ प्रबंध और उपयोग) विधेयक उत्तर प्रदेश विधान परिषद में पारित नहीं हो सका। विधेयक को विधान परिषद की प्रवर समिति के पास भेजा गया, जहां से इसे पारित नहीं किया जा सका।
विधेयक की स्थिति
1 अगस्त को भोजनावकाश के बाद उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने इस विधेयक को सदन के पटल पर रखा। भाजपा के सदस्य और प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी ने विधेयक को प्रवर समिति के सुपुर्द करने का प्रस्ताव रखा। इस प्रस्ताव को ध्वनि मत से पारित कर दिया गया, और इसे प्रवर समिति के पास भेज दिया गया, जो दो माह के अंदर अपना प्रतिवेदन प्रस्तुत करेगी।
नजूल सम्पत्ति क्या है?
नजूल सम्पत्ति उन जमीनों को कहा जाता है, जिन्हें ब्रिटिश राज में आंदोलनकारियों से जब्त किया गया था। अंग्रेजों द्वारा जब्त की गई इन जमीनों को नजूल सम्पत्ति के रूप में जाना जाता है। इन जमीनों को सरकारी लीज पर दिया जाता है, जिसकी अवधि 15 साल से लेकर 99 साल तक हो सकती है।
विधेयक का पारित न होना क्यों महत्वपूर्ण है?
उत्तर प्रदेश विधान परिषद के 100 सदस्यीय सदन में भाजपा के 79 सदस्य हैं, इसलिए विधेयक का पारित न होना महत्वपूर्ण माना जा रहा है। विधानसभा में बुधवार को विधेयक पर संशोधन की आवश्यकता बताई गई थी, जिसके बाद इसे ध्वनि मत से पारित कर दिया गया था।
अन्य विधेयक
सदन में उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय (द्वितीय संशोधन) विधेयक, उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय (तृतीय संशोधन) विधेयक, उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय (चतुर्थ संशोधन) विधेयक, उत्तर प्रदेश सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों का निवारण) विधेयक, उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध (संशोधन) विधेयक भी पेश किए गए और ध्वनि मत से पारित कर दिए गए। इसके अतिरिक्त, उत्तर प्रदेश राज्य राजधानी क्षेत्र और अन्य क्षेत्र विकास प्राधिकरण विधेयक, उत्तर प्रदेश राज्य विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, उत्तर प्रदेश नोडल विनियोजन रीजन विनिर्माण (निर्माण) क्षेत्र विधेयक, बोनस संदाय (उत्तर प्रदेश संशोधन) विधेयक, कारखाना (उत्तर प्रदेश संशोधन) विधेयक, और उत्तर प्रदेश विनियोग (2024-2025 का अनुपूरक) विधेयक भी प्रस्तुत किए गए और ध्वनि मत से पारित कर दिए गए। इसके बाद, सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई।