भारत में चुनावी माहौल हमेशा गर्म रहता है। इस समय महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव चर्चा में हैं। चुनाव आयोग निष्पक्षता बनाए रखने के लिए सख्त नियम लागू करता है। चुनावों के दौरान बड़े पैमाने पर नकदी की बरामदगी और जब्ती आम खबर बन जाती है। लेकिन सवाल यह उठता है कि जब्त किए गए इन पैसों का होता क्या है? आइए जानते हैं।
आदर्श आचार संहिता के तहत नकदी पर नियम
चुनावों की घोषणा के साथ ही आदर्श आचार संहिता लागू हो जाती है। इसके तहत कोई भी व्यक्ति अधिकतम ₹50,000 तक नकदी लेकर चल सकता है। अगर किसी के पास ₹50,000 से ज्यादा नकदी मिलती है, तो चुनाव अधिकारी उससे पूछताछ करते हैं। अगर व्यक्ति वाजिब जवाब नहीं दे पाता, तो नकदी जब्त कर ली जाती है।
जब्त की गई नकदी का क्या होता है?
आयकर विभाग को सौंपना:
जब्त की गई नकदी चुनाव आयोग द्वारा आयकर विभाग को सौंप दी जाती है।
दावा करने की प्रक्रिया:
जिस व्यक्ति के पास से नकदी बरामद की गई होती है, उसे आयकर विभाग में दावा करना होता है।
व्यक्ति को यह साबित करना पड़ता है कि नकदी अवैध तरीके से अर्जित नहीं की गई है और इसका उपयोग चुनावों को प्रभावित करने के लिए नहीं किया जा रहा था।
दस्तावेजों, जैसे- कैश विड्रॉल का प्रमाण या खरीदारी का विवरण, प्रस्तुत करना अनिवार्य होता है।
दावा न करने की स्थिति:
अगर नकदी पर कोई दावा नहीं किया जाता, तो वह राशि सरकारी खजाने में जमा कर दी जाती है।
आचार संहिता के दौरान नकदी लेकर चलने पर ध्यान देने योग्य बातें:
चुनावों के दौरान नकदी लेकर चलने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है:
पहचान पत्र साथ रखें: किसी भी पूछताछ के दौरान पहचान पत्र दिखाना आवश्यक है।
नकदी से संबंधित दस्तावेज: नकदी का स्रोत और इसका उपयोग साबित करने वाले दस्तावेज, जैसे बैंक स्टेटमेंट या निकासी की रसीद, साथ होनी चाहिए।
नकदी का उद्देश्य: आपको यह स्पष्ट करना होगा कि नकदी का इस्तेमाल कहां किया जाएगा।
शादियों और त्योहारों के सीजन में विशेष ध्यान रखें:
चुनावी मौसम के साथ शादियों और त्योहारों का सीजन भी चलता है। ऐसे समय में लोग बड़ी खरीदारी करते हैं। अगर आप आदर्श आचार संहिता के दौरान ₹50,000 से अधिक नकदी लेकर जा रहे हैं, तो उपरोक्त नियमों का पालन करना जरूरी है।
चुनाव आयोग की ये सख्त प्रक्रियाएं चुनावी माहौल में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं।