नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल के डॉक्टर रेप और मर्डर केस ने पूरे देश को हिला कर रख दिया है। इस घटना के विरोध में जगह-जगह विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं और लोगों में काफी गुस्सा है। घटना के सामने आने के बाद रेजीडेंट डॉक्टर्स ने भी हड़ताल शुरू कर दी थी। हालांकि, ‘फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन’ (एफओआरडीए) ने मंगलवार रात केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा के साथ उनके आवास पर हुई बैठक के बाद अपनी हड़ताल वापस ले ली, लेकिन अभी भी देश के कई अस्पतालों में हड़ताल जारी है।
बुधवार को दिल्ली के एम्स, वीएमएमसी और सफदरजंग अस्पताल, राम मनोहर लोहिया और इंदिरा गांधी अस्पताल के ‘रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन’ (आरडीए) ने लगातार तीसरे दिन हड़ताल जारी रखी। प्रदर्शनकारियों की मांग है कि डॉक्टर्स के लिए केंद्रीय सुरक्षा अधिनियम लागू किया जाए। आइए जानते हैं कि यह अधिनियम क्या है और डॉक्टर्स इसकी मांग क्यों कर रहे हैं।
डॉक्टर्स कर रहे केंद्रीय कानून बनाने की मांग
कोलकाता के सरकारी आरजी कर मेडिकल कॉलेज की इस घटना ने इस बात की ओर ध्यान खींचा है कि डॉक्टर्स को किस प्रकार हिंसा और उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है। अस्पतालों में बेहतर सुरक्षा उपायों की मांग और विरोध प्रदर्शनों के बीच, डॉक्टर चिकित्साकर्मियों की सुरक्षा के लिए एक केंद्रीय कानून बनाने की मांग कर रहे हैं।
IMA ने स्वास्थ्य मंत्रालय को लिखा पत्र
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने स्वास्थ्य मंत्रालय को लिखे अपने हालिया पत्र में कहा है कि लगभग सभी राज्यों में डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए कानून तो हैं, लेकिन उनका क्रियान्वयन अप्रभावी है। प्रदर्शनकारियों ने डॉक्टर्स के लिए केंद्रीय संरक्षण अधिनियम के कार्यान्वयन की भी मांग की है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि अस्पतालों में स्वास्थ्य कर्मियों के लिए पर्याप्त सुरक्षा हो।
डॉक्टर्स के लिए केंद्रीय संरक्षण अधिनियम क्या है?
‘स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों और नैदानिक प्रतिष्ठानों के खिलाफ हिंसा की रोकथाम विधेयक, 2022’, जिसे ‘डॉक्टरों के लिए केंद्रीय संरक्षण अधिनियम’ भी कहा जाता है, को दो साल पहले लोकसभा में पेश किया गया था। इस विधेयक का उद्देश्य डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा के कृत्यों को परिभाषित करना और ऐसे कृत्यों के लिए सजा निर्धारित करना था।
विधेयक के प्रावधान क्या हैं?
विधेयक के प्रावधानों में हिंसा पर रोक लगाना, दंड की स्थापना, ऐसे कृत्यों की अनिवार्य रिपोर्टिंग, सार्वजनिक संवेदनशीलता और शिकायत निवारण तंत्र शामिल हैं। इस प्रस्तावित विधेयक के अंतर्गत आने वाले स्वास्थ्यकर्मी पंजीकृत चिकित्सक, मानसिक स्वास्थ्य चिकित्सक, दंत चिकित्सक, नर्सिंग पेशेवर, चिकित्सा एवं नर्सिंग छात्र, संबद्ध स्वास्थ्य पेशेवर और अस्पतालों में सहायक कर्मचारी होंगे।
2022 में संसद में किया गया था पेश
जब यह विधेयक 2022 में संसद में पेश किया गया था, तब तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा था कि सरकार ने इसे आगे न बढ़ाने का फैसला किया है, क्योंकि इसके ज्यादातर उद्देश्य महामारी रोग (संशोधन) अध्यादेश 2020 में शामिल हैं।
डॉक्टर के रेप और मर्डर के बाद उठी मांग
बीते 9 अगस्त को कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज के सेमिनार हॉल में एक पोस्ट-ग्रेजुएट डॉक्टर मृत पाई गई। उसके शरीर पर चोटें थीं और पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चला कि उसके साथ बलात्कार किया गया। इस घटना से व्यापक आक्रोश फैल गया और डॉक्टर्स हड़ताल पर चले गए, जिसके बाद इस अधिनियम को लागू करने की मांग उठी।