नई दिल्ली। लोकसभा चुनावों के खत्म होने के बाद अब देशभर में विधानसभा चुनाव का इंतजार होने लगा है। कई राज्यों में विधानसभा का कार्यकाल समाप्त हो चुका है, और इसे लेकर भारत निर्वाचन आयोग ने शुक्रवार (16 अगस्त) को दोपहर 3 बजे एक महत्वपूर्ण प्रेस कॉन्फ्रेंस करने की घोषणा की है। उम्मीद की जा रही है कि इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में विधानसभा चुनावों की तारीखों का ऐलान किया जाएगा।
अब सबकी नजरें जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनावों की तारीख की घोषणा पर टिकी हुई हैं। अनुच्छेद 370 हटने और राज्य को केंद्र शासित प्रदेश में बदलने के बाद यहां पहली बार विधानसभा चुनाव होंगे। सुप्रीम कोर्ट ने भी जम्मू-कश्मीर चुनाव को लेकर 30 सितंबर की डेडलाइन दी है, जिससे इस मामले में तेजी आने की संभावना है।
लोकसभा चुनाव के नतीजे कैसे रहे?
जम्मू-कश्मीर में 5 लोकसभा सीटें हैं। 2024 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी ने 2, नेशनल कॉन्फ्रेंस ने 2 और एक सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार ने जीत हासिल की थी। वोट प्रतिशत की बात करें तो बीजेपी को 24%, नेशनल कॉन्फ्रेंस को 22%, कांग्रेस को 19% और पीडीपी को 8% वोट मिले थे।
जम्मू-कश्मीर में 10 सालों में हुए बड़े बदलाव
जम्मू-कश्मीर अब एक राज्य नहीं रहा।
लद्दाख अब जम्मू-कश्मीर का हिस्सा नहीं है।
जम्मू-कश्मीर में अब केंद्र के शासन के तहत चुनाव होंगे।
अब 6 साल की बजाय 5 साल की सरकार बनेगी।
मुफ्ती मोहम्मद सईद की गैर-मौजूदगी में चुनाव होंगे।
अनुच्छेद 370 हटने के बाद पहला विधानसभा चुनाव होगा।
विधानसभा सीटों की संख्या बढ़कर 90 हो गई है।
गुलाम नबी आजाद ने जम्मू-कश्मीर में अपनी अलग पार्टी बनाई है।
सुप्रीम कोर्ट ने दी थी 30 सितंबर तक की डेडलाइन
पिछले काफी समय से जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनावों की मांग की जा रही थी। इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने भारत सरकार और चुनाव आयोग को 30 सितंबर तक राज्य में चुनाव कराने का आदेश दिया था। इसी बीच, चुनाव आयोग ने जम्मू-कश्मीर का दौरा भी किया है।
अनुच्छेद 370 हटने के बाद पहला विधानसभा चुनाव
जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद यह पहली बार होगा जब यहां विधानसभा चुनाव होंगे। इससे पहले यहां आखिरी बार 2014 में विधानसभा चुनाव हुए थे। उस समय राज्य में 87 विधानसभा सीटें थीं, जो अब बढ़कर 90 हो गई हैं, जिनमें से 43 सीटें जम्मू और 47 सीटें कश्मीर में हैं।