उत्तराखंड के युवाओं की आवाज़ : नशा नहीं, रोजगार दो

जागरूकता और स्थानीय आंदोलनों ने बेरोजगारी के खिलाफ नई चेतना को जन्म दिया है।

समीक्षा सिंह 

उत्तराखंड में बेरोज़गारी एक लम्बे समय से सामाजिक और आर्थिक चुनौती रही है। राज्य की पहाड़ी स्थिति, कम औद्योगिक विकास और युवाओं का शहरों की तरफ जाना, स्थायी रोजगार पाने में मुश्किलें पैदा करते हैं। हालाकिं, हाल के वर्षो में राज्य ने इस दिशा में सकारात्मक कदम उठाये है और इसके परिणाम अब आंकड़ो में दिखने लगे है ।

2023-2024 के पीरियाडिक लेबर फाॅर्स सर्वे (PLFS) के मुताबिक, उत्तराखंड में बेरोज़गारी दर 4.3% हो गयी है, जो देश के औसत 4.5% से थोड़ी कम है । खासकर युवाओं में बेरोजगारी 14.2% से घटकर 9.8% हो गई है। इसका मतलब है कि राज्य में युवाओं के लिए नौकरी के मौके बढ़ रहे हैं और वे अपने आसपास ही रोजगार ढूंढ रहे हैं।

सरकार के कई योजनाए इस सुधार में सहायक रही है मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के अंतर्गत तीन वर्षों में 50,000 से अधिक युवाओं को आत्मनिर्भर बनने का अवसर मिला है। इसके अलावा, ‘लखपति दीदी योजना’ जैसी पहलों ने महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने का काम किया है। राज्य में महिला कार्यबल की भागीदारी में भी तेजी से वृद्धि हुई है। 15–29 आयु वर्ग की महिलाओं के लिए वर्कर पॉपुलेशन रेशियो (WPR) 26.1% से बढ़कर 32.4% हो गया है, जबकि 15 वर्ष से अधिक आयु की महिलाओं के लिए यह 37% से बढ़कर 43.7% तक पहुंच गया है।

फिर भी, कई चुनौतियां बनी हुई हैं। पहाड़ी इलाकों में स्थायी और अच्छे रोजगार के मौके कम हैं। पर्यटन और खेती जैसे कामों में मौसम के हिसाब से रोजगार मिलता है, जिससे लोगों की आजीविका अस्थिर रहती है। अच्छी पढ़ाई-लिखाई करने वाले युवा अभी भी बड़े शहरों की ओर जा रहे हैं, जिससे स्थानीय विकास में रुकावट आती है।

यह नाराजगी “नशा नहीं, रोजगार दो” जैसे आंदोलनों से भी दिखती है, जहां युवा सरकार से बेहतर रोजगार की मांग कर रहे हैं।

सरकार अब रोजगार की नई जरूरतों को समझकर कौशल विकास और डिजिटल ट्रेनिंग जैसे कदम उठा रही है। जेनरेशन इंडिया के साथ मिलकर युवाओं को डिजिटल और व्यावसायिक कौशल सिखाने की शुरुआत हुई है। साथ ही, ₹200 करोड़ का स्टार्टअप फंड भी युवाओं को अपना व्यवसाय शुरू करने के लिए मदद कर रहा है।

उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था भी बेहतर हो रही है। अगले साल राज्य की विकास दर 6.6% रहने की उम्मीद है और प्रति व्यक्ति आय ₹2.7 लाख तक पहुंच गई है। यह सब रोजगार के नए अवसरों के लिए अच्छा संकेत है।

अगर सरकार इन प्रयासों को जारी रखे और स्थानीय स्तर पर अच्छे रोजगार के मौके बनाए, तो उत्तराखंड आने वाले समय में बेरोजगारी की समस्या कम कर सकता है।

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