देवदत्त दुबे
2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी पराजय के बाद कार्यकर्ताओं से ज्यादा हताशा कांग्रेस के दिग्गज नेता दिखा रहे है। मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, कमलनाथ लोकसभा चुनाव 2024 के लिए कोई उत्साह दिखाते नजर नहीं आ रहे जबकि इन दोनों की जोड़ी ने 2018 के विधानसभा चुनाव 2019 के लोकसभा चुनाव और 2023 के विधानसभा चुनाव में भारी दम खम दिखाया। दरअसल, प्रदेश कांग्रेस के दिग्गज नेताओं को 2023 के विधानसभा चुनाव में प्रदेश में सरकार बनाने की उम्मीद है। 2018 की तरह बन गई थी लेकिन करारी हार मिलने के बाद पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व में जिस तरह से प्रदेश में व्यापक परिवर्तन किया। उसके बाद दिग्विजय सिंह और कमलनाथ ने लोकसभा चुनाव के प्रति किसी भी प्रकार का उत्साह नहीं दिखाया है।
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने जहां लोकसभा चुनाव लडऩे से ही इनकार कर दिया क्योंकि उनके अभी राज्यसभा के 2 वर्ष का कार्यकाल बाकी है जबकि पार्टी हाईकमान और पार्टी के रणनीतिकार दिग्गज नेताओं को लोकसभा चुनाव के मैदान में उतारना चाहते हैं। इसी तरह पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ भी विधानसभा चुनाव की पराजय के बाद बाहर चले गए थे। कुछ दिन पहले भोपाल और छिंदवाड़ा आकर औपचारिकता की है। किसी पर प्रकार की रणनीति बनाने या चुनावी तैयारी जैसा कोई बयान भी सामने नहीं आया है। इसके विपरीत कमलनाथ के पुत्र सांसद कमलनाथ को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म रहता है कि वे लोकसभा चुनाव लड़ेंगे या नहीं लड़ेंगे। यहां तक कि वह किस पार्टी से लड़ेंगे ऐसे भी प्रश्न चर्चा में आना कांग्रेसियों के लिए किसी झटके से कम नहीं है।
बहरहाल, प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी जहां सभी 29 लोकसभा सीटे जीतने के लिए बूउ स्तर से लेकर प्रदेश स्तर तक जोरदार तैयारी में जुट गई है। सत्ता और संगठन कदमताल करते हुए पूरी तरह से चुनाव पर फोकस किए हुए हैं। पार्टी प्रत्याशियों को लेकर सर्वे चल रहे हैं नए चेहरों को मैदान में उतरने और कुछ दिग्गज नेताओं को लड़ाने पर भी विचार चल रहा है। पार्टी पूरी तरह से चुनावी मोड में आ चुकी है। राष्ट्रीय स्तर पर अयोध्या में राम मंदिर और प्राण प्रतिष्ठा के बाद बने माहौल को पार्टी जन-जन तक पहुंचा रही है। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस पार्टी में नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी अपनी जुझारू क्षमता अभी तक मैदान में नहीं दिखा पा रहे हैं क्योंकि उन्हें नए सिरे से पूरे प्रदेश की तासीर समझना है। राजनीतिक हालातो को पार्टी के पक्ष में कैसे लाया जाए इसके लिए कठिन परिश्रम करना है। उनका परिश्रम तभी कामयाब होगा जब पार्टी के वरिष्ठ नेता उनके साथ कदमताल करेंगे। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, कमलनाथ पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी, अरुण यादव, कांतिलाल भूरिया, पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह जैसे दिग्गज नेता जब तक मैदान में दम नहीं दिखाएंगे। कांग्रेस के लिए मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा यदि यह सब नेता लोकसभा चुनाव में मैदान में उतरते हैं खुद चुनाव लड़ते हैं तो कार्यकर्ताओं का भी मनोबल बढ़ेगा और अपने साधनों और कार्यकर्ताओं की फौज की दम पर यह नेता टक्कर देते भी नजर आएंगे।
कुल मिलाकर विधानसभा चुनाव की हार के बाद जिस तरह से कांग्रेस के दिग्गज नेताओं ने पार्टी से किनारा कर लिया है न तो लोकसभा चुनाव की तैयारी में कोई रुचि दिखा रहे हैं और ना ही राहुल गांधी की न्याय यात्रा के प्रति कोई उत्सुकता दिखा रहे हैं। उससे कांग्रेस की कमजोरी नजर आ रही है। 7 फरवरी से होने वाले विधानसभा सत्र में भी यदि कांग्रेस अपनी दम नहीं दिखा पाए तो कांग्रेस कैसे माहौल बनाएगी। कैसे कार्यकर्ताओं को उत्साहित करेगी इसको लेकर कांग्रेस की रणनीतिकार चिंतन कर रहे हैं।