सतत विकास एवं पर्यावरण संरक्षण को केंद्र में रखते हुए योजनाओं का निर्माण दीर्घकाल के लिए लाभकारी
देहरादून। देश के लैटरल एंट्री के माध्यम से चयनित सिविल सेवा के अधिकारियों के राज्य प्रवास के दौरान आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए उत्तराखंड के पूर्व मुख्य सचिव इंदु कुमार पांडे ने कहा कि किसी भी योजना के क्रियान्वयन से पूर्व उसका विस्तृत अध्ययन किया जाना आवश्यक है, किंतु यह भी देखना जरूरी है कि वह परियोजना कहीँ ‘इनफॉरमेशन ओबेसिटी’ का शिकार न हो जाए। इसलिए आवश्यक एवं गैर जरूरी सूचनाओं का विश्लेषण परियोजना की सफलतापूर्वक संचालन के लिए आवश्यक है।
पांडे ने कहा कि विकास के मानदंड में सतत विकास एवं पर्यावरण संरक्षण को केंद्र में रखते हुए योजनाओं का निर्माण दीर्घकाल के लिए लाभकारी होगा। सकल घरेलू उत्पाद के साथ-साथ मानव विकास सूचकांक एवं व्यक्ति के जीवन स्तर में गुणात्मक सुधार की दृष्टि से कार्य करने से ही असली समृधि प्राप्त होगी। पांडे ने रिसोर्स मोबिलाइजेशन, केंद्र राज्य एवं लोकल बॉडीज के गवर्नेंस संबंधों पर भी वित्तीय दृष्टि से प्रकाश डालते हुए तीन ‘एल’ को अपनाने की वकालत की। उन्होंने कहा कि ‘लर्न, लोकलाइज, और लिबरलाइज’ गवर्नेंस नीति के माध्यम से संसाधनों का सदुपयोग होगा व राजकोषीय प्रबंधन प्रभावी तरीके से किया जा सकेगा।
पांडे ने कहा कि उत्तराखंड सरकार ‘विकल्प रहित संकल्प गवर्नेंस नीति’ से कार्य कर रही है और इसी नीति का अनुसरण करके यह देश के अग्रणी राज्यों की श्रेणी में दर्ज होगा । कार्यक्रम को संबोधित करते हुए इंडियन इंस्टीट्यूट आफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन के आचार्य डॉ वी एन आलोक ने कहा कि किसी भी सेवा में जाने से पूर्व प्रशिक्षण अति आवश्यक है जिसके माध्यम से हम उन नीतियों को समझ पाते हैं जिन पर चलकर कार्य करने से समाज और राष्ट्र का उत्थान एवं विकास निर्भर रहता है, और इसी उद्देश्य से उत्तराखंड राज्य की गवर्नेंस नीति वित्तीय, प्रबंधन, एवं विकास के मॉडल से देश के नए अधिकारी अवगत हो यह कार्यशाला आयोजित की गई है।
इस अवसर पर उत्तराखंड गुड गवर्नेंस एंड पब्लिक पॉलिसी योजना विभाग के चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर डॉ मनोज कुमार पंत ने सरकार की सतत विकास के सभी17 लक्ष्यों को प्राप्त करने की योजना पर विस्तार से पावर पॉइंट के माध्यम से प्रस्तुति देते हुए कहा कि राज्य इन सभी लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए ठोस कार्य योजना के साथ अग्रसर है और हमें इस दिशा में वांछित समय पर सफलता मिलेगी। कार्यशाला को संबोधित करते हुए दून विश्वविद्यालय स्कूल आफ मैनेजमेंट के संकायाध्यक्ष प्रोफेसर एच सी पुरोहित ने ‘लीडरशिप और गवर्नेंस’ के महत्व को दर्शाते हुए कहा कि एक प्रभावी नेतृत्व से किसी भी उद्देश्य को आसानी से प्राप्त कर किया जा सकता है और उसी से पारदर्शी, जनहित में कार्य करने वाली कार्यप्रणाली एवं संस्थाओं का निर्माण किया जा सकता है।
प्रोफेसर पुरोहित ने कहा कि किसी भी देश की उन्नति में नेतृत्व के शीर्ष स्तर पर ईमानदारी और सत्य निष्ठा का होना बहुत आवश्यक है उसी से संस्थाओं की शुचिता पूर्वक कार्य करने की संस्कृति तैयार होगी है। प्रो पुरोहित ने भगवद् गीता के कई प्रसंगों से नेतृत्व के विभिन्न पहलुओं को परिभाषित करते हुए कहा कि वसुधैव कुटुंबकम, निष्काम कर्म, लोक संग्रह, शुभ-लाभ, समर्पण, तथा अति सर्वत्र वर्जयेत् की भावना व नीति के गवर्नेंस से सतत विकास के साथ-साथ विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकेगा। अतिथियों का स्वागत, कार्यक्रम का संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत करते हुए दून विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर पब्लिक पॉलिसी चेयर प्रोफेसर डॉ अविनाश चंद्र जोशी ने कहा कि उत्तराखंड पर्यटन, ऊर्जा तथा मानव संसाधन की दृष्टि से एक समृद्ध एवं उन्नत राज्य है और हमें खुशी है कि हमारी सरकार राज्य के विकास के लिए संकल्पित एवं कर्मरत है इसी नीति से उत्तराखंड शीघ्र देश का समृद्ध राज्य बनकर उभरेगा और युवा अधिकारी यदि समाज के कल्याण हेतु समर्पित भाव से कार्य करेंगे तो समाज व राष्ट्र का विकास होना निश्चित है।
इस अवसर पर ब्रिडकुल के महाप्रबंधक मानव संसाधन अनूप कुमार, मनोविज्ञान विभाग के डॉक्टर राजेश भट्ट, शोध छात्र पीयूष शर्मा, अजय बिष्ट तथा इंडियन इंस्टीट्यूट आफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।