उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटी कांग्रेस ने इस बार बसपा पृष्ठभूमि वाले नेताओं को अपने खेमे में शामिल करने की रणनीति अपनाई है। पार्टी ने सामाजिक न्याय के मुद्दे को मजबूत करने के लिए इन नेताओं को जोड़ने का फैसला किया है। यदि कांग्रेस उपचुनाव से पहले कुछ नेताओं को जोड़ने में सफल रहती है, तो इसका सीधा लाभ सपा उम्मीदवारों को मिलने की संभावना है।
प्रदेश में नौ सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं, जिनमें कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार नहीं उतारा है, लेकिन गठबंधन के समर्थन का दावा किया है। कांग्रेस के रणनीतिकार मानते हैं कि दलित और अति पिछड़े वर्ग के वोटबैंक को जोड़कर कांग्रेस अपना जनाधार बढ़ा सकती है।
बसपा नेताओं को जोड़ने पर जोर
इसी रणनीति के तहत सभी जिलाध्यक्षों को निर्देश दिया गया है कि बसपा के जो नेता खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं, उनसे संपर्क साधा जाए। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी और महासचिव प्रियंका गांधी द्वारा उठाए जा रहे सामाजिक मुद्दों की जानकारी उन्हें दी जाए और यह भी बताया जाए कि कांग्रेस लगातार दलितों और अति पिछड़ों के अधिकारों के लिए संघर्ष कर रही है।
उपचुनाव में सपा को मिल सकता है फायदा
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस यदि उपचुनाव से पहले इन नेताओं को शामिल कर पाती है, तो इसका फायदा सपा को होगा। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय का कहना है कि विभिन्न दलों के कई नेता कांग्रेस के संपर्क में हैं और जल्द ही उन्हें पार्टी में शामिल किया जाएगा। उपचुनाव में कांग्रेस गठबंधन उम्मीदवारों के समर्थन में पूरी ताकत से जुटी है और भाजपा को हराने के लिए प्रयासरत है।