नई दिल्ली: केंद्रीय संचार एवं उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने शुक्रवार को दूरसंचार सेवा प्रदाताओं (टीएसपी) पर हाल ही में गठित हितधारक सलाहकार समिति (एसएसी) के साथ संचार राज्य मंत्री डॉ. चंद्रशेखर पेम्मासानी की उपस्थिति में दूसरी बैठक की। दूरसंचार विभाग (डीओटी) द्वारा इस पहल का उद्देश्य भारत के दूरसंचार इकोसिस्टम को विकसित करना, उसे साकार रूप देना, और समावेशी एवं सहयोगात्मक नीति निर्णय लेने के लिए सभी हितधारकों को शामिल करना है।
पहली हितधारक सलाहकार समिति (एसएसी) की बैठक में कुछ केंद्रित क्षेत्रों की पहचान की गई थी, और आज की बैठक में, अंतर्राष्ट्रीय मानकों, बौद्धिक संपदा, और मानक आवश्यक पेटेंट (एसईपी) में भारत की हिस्सेदारी, कनेक्टिविटी के अंतराल, और दूरसंचार सेवाओं की गुणवत्ता पर विशेष चर्चा की गई।
एसएसी के सदस्यों ने ‘भारत की जरूरतों’ के अनुसार अनुसंधान को संरेखित करने और एक जीवंत मानक समुदाय स्थापित करने पर जोर दिया। भारत ने पहले ही भारत 6जी विज़न, भारत 6जी अलायंस, पेटेंट और आईपीआर समर्थित ढांचा, और टेस्टबेड जैसी विभिन्न पहलें शुरू की हैं। एसएसी ने अगले 3 वर्षों के लिए एक रोडमैप भी प्रस्तावित किया है।
बैठक के दौरान सिंधिया ने एसएसी के सदस्यों से लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए एक महत्वपूर्ण मार्ग निर्धारित करने और इसमें सरकार सहित विभिन्न हितधारकों की भूमिका को परिभाषित करने के लिए कहा। उन्होंने टीएसपी से अच्छी गुणवत्ता वाली दूरसंचार सेवाएं सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने का आग्रह किया।
सिंधिया ने दूरसंचार क्षेत्र से संबंधित विभिन्न विषयों पर आवश्यक जानकारी प्रदान करने के लिए छह अलग-अलग हितधारक सलाहकार समितियाँ (एसएसी) गठित की हैं। इन समितियों का उद्देश्य सरकार के साथ निरंतर संवाद को सुगम बनाना है। इन समितियों में उद्योग जगत के विचारक, शीर्ष मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ), शिक्षाविद, शोधकर्ता, उद्यमी, और स्टार्ट-अप शामिल हैं।