नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान ने ‘लेटरल एंट्री’ को लेकर हो रहे सियासी बवाल पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। न्यूज एजेंसी ‘आईएएनएस’ से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी इस व्यवस्था से कतई सहमत नहीं है और वे इसे सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार के समक्ष उठाएंगे।
यह चिंता का विषय, मैं सरकार से बात करूंगा
चिराग पासवान ने कहा, “मैं और मेरी पूरी पार्टी स्पष्ट रूप से मानती है कि सरकारी नियुक्तियों में आरक्षण के प्रावधानों को ध्यान में रखा जाना चाहिए। निजी क्षेत्रों में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है, इसलिए सरकारी नियुक्तियों में आरक्षण का पालन करना बेहद आवश्यक है।” उन्होंने आगे कहा कि यदि इन प्रावधानों को ध्यान में नहीं रखा गया है, तो यह हमारे लिए चिंता का विषय है, और वे इस मुद्दे को सरकार के समक्ष जरूर उठाएंगे।
यूपीएससी ने 45 पदों पर निकाली भर्ती
संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने हाल ही में विभिन्न मंत्रालयों में ‘लैटरल एंट्री’ के जरिए 45 पदों पर भर्ती निकाली है। इनमें से 10 पद संयुक्त सचिवों के लिए और 35 पद निदेशकों या उप सचिवों के लिए हैं। यह भर्ती कॉन्ट्रेक्ट के आधार पर की जा रही है, जो देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक मानी जाने वाली यूपीएससी परीक्षा के अलावा है। इस कदम का कई राजनीतिक दलों ने विरोध किया है।
विपक्षी दल क्यों कर रहे विरोध?
कांग्रेस, समाजवादी पार्टी (सपा), और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सहित कई विपक्षी दलों का आरोप है कि भाजपा सरकार ‘लैटरल एंट्री’ के माध्यम से आरक्षण नीति को खत्म करने का प्रयास कर रही है। उनका कहना है कि इस व्यवस्था के तहत सरकार अपने सहयोगियों को अहम पदों पर नियुक्त करना चाहती है।
यह व्यवस्था 2018 में केंद्र सरकार द्वारा लागू की गई थी, जिससे किसी भी योग्य अभ्यर्थी को मंत्रालयों में सचिव और उप सचिव जैसे पदों पर नियुक्त किया जा सकता है। अब इसे लेकर उठ रहे सवालों और विरोधों के बीच, चिराग पासवान का यह बयान महत्वपूर्ण माना जा रहा है।