केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने योगी सरकार के नजूल संपत्ति बिल पर जताई आपत्ति, कहा- ‘तत्काल वापस लें’

लखनऊ। केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने उत्तर प्रदेश की योगी सरकार से नजूल संपत्ति बिल को तुरंत वापस लेने की मांग की है। उनका कहना है कि यह विधेयक बिना पर्याप्त विचार-विमर्श के जल्दबाजी में लाया गया है। अनुप्रिया पटेल ने कहा कि जिन अधिकारियों ने इस विधेयक के संबंध में सरकार को गुमराह किया है, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।

अनुप्रिया पटेल ने किया सोशल मीडिया पर विरोध दर्ज
गुरुवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अनुप्रिया पटेल ने लिखा, “नजूल भूमि संबंधी विधेयक को विमर्श के लिए विधान परिषद की प्रवर समिति को भेज दिया गया है। व्यापक विमर्श के बिना लाए गए इस विधेयक के बारे में मेरा स्पष्ट मानना है कि यह न केवल गैरजरूरी है, बल्कि आम जनमानस की भावनाओं के विपरीत भी है।”

‘विधेयक को तत्काल वापस लेना चाहिए’
केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा, “उत्तर प्रदेश सरकार को इस विधेयक को तुरंत वापस लेना चाहिए, और जिन अधिकारियों ने सरकार को गुमराह किया है, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।” यह पहली बार नहीं है जब अनुप्रिया पटेल ने राज्य सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए हैं। इससे पहले भी उन्होंने राज्य सरकार की नौकरियों में ओबीसी नियुक्तियों पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा था।

विधानसभा से हुआ पारित, परिषद ने भेजा प्रवर समिति को
उत्तर प्रदेश नजूल सम्पत्ति (लोक प्रयोजनार्थ प्रबंधन और उपयोग) विधेयक बुधवार को उत्तर प्रदेश विधानसभा से पारित किया गया था। हालांकि, इस बिल को विधान परिषद की मंजूरी नहीं मिली, और इसे प्रवर समिति के पास भेज दिया गया।

प्रवर समिति को सौंपा गया विधेयक
परिषद में भोजनावकाश के बाद नेता सदन उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने इस विधेयक को सदन के पटल पर रखा। लेकिन, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी ने इसे प्रवर समिति के सुपुर्द करने का प्रस्ताव रखा। उन्होंने कहा कि समिति दो माह के अंदर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। इसके बाद सभापति कुंवर मानवेंद्र सिंह ने प्रस्ताव को ध्वनि मत से पारित घोषित कर दिया।

सत्ता पक्ष के कुछ विधायक भी बिल के खिलाफ?
राज्य विधान परिषद के 100 सदस्यीय सदन में भाजपा के 79 सदस्य होने के बावजूद विधेयक का पारित न होना महत्वपूर्ण माना जा रहा है। विधानसभा में इसे पारित करने से पहले भी कुछ विधायकों ने संशोधन की आवश्यकता बताई थी, लेकिन अंततः इसे ध्वनि मत से पारित कर दिया गया।

नजूल संपत्ति क्या होती है?
ब्रिटिश शासनकाल में जब राजा-रजवाड़े अंग्रेजों के खिलाफ युद्ध में हार जाते थे, तो अंग्रेज उनकी जमीन छीन लेते थे। ऐसी जमीन को नजूल संपत्ति कहा जाता था। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद ऐसी संपत्तियों पर राज्य सरकार का अधिकार हो गया। सरकार इन संपत्तियों का उपयोग अस्पताल, स्कूल और पंचायत जैसे सार्वजनिक उद्देश्यों के लिए करती है, और कभी-कभी हाउसिंग सोसाइटी भी बनाती है।

नजूल संपत्ति विधेयक में क्या हैं प्रावधान?
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पेश किए गए विधेयक में यह प्रावधान किया गया है कि यदि कोई व्यक्ति नजूल संपत्ति को पट्टे पर लेता है, पट्टे का किराया नियमित रूप से देता है, और पट्टा अनुबंध के नियमों का उल्लंघन नहीं करता है, तो पट्टा अनुबंध का नवीनीकरण किया जाएगा। नवीनीकरण की अवधि 30 वर्ष होगी। अनुबंध की अवधि पूरी होने पर जमीन सरकार के पास वापस आ जाएगी।

इस विधेयक को लेकर राज्य सरकार की आलोचना जारी है, और विपक्षी दलों ने भी इस पर सवाल उठाए हैं। अब देखना होगा कि प्रवर समिति की रिपोर्ट के बाद सरकार इस पर क्या कदम उठाती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top