नई दिल्ली। तृणमूल कांग्रेस (TMC) के राज्यसभा सांसद साकेत गोखले ने हाल ही में वंदे भारत स्लीपर ट्रेनों की लागत में घोटाले का आरोप लगाया। गोखले ने ‘एक्स’ पर दावा किया कि एक वंदे भारत स्लीपर ट्रेन की लागत 290 करोड़ रुपये से बढ़कर 436 करोड़ रुपये हो गई है। इन आरोपों पर रेलवे मंत्रालय ने प्रतिक्रिया देते हुए इसे ‘फेक न्यूज’ करार दिया। रेलवे ने बताया कि ट्रेनों में डिब्बों की संख्या 16 से बढ़ाकर 24 कर दी गई है, इसलिए लागत बढ़ी है, न कि कोई घोटाला हुआ है।
रेलवे के जवाब पर गोखले ने क्या कहा?
रेलवे के बयान पर पलटवार करते हुए साकेत गोखले ने मंत्रालय के दावों को ‘हास्यास्पद’ बताया। उन्होंने कहा कि ट्रेन निर्माण की लागत प्रति ट्रेन तय की गई थी, न कि प्रति डिब्बे के आधार पर। उन्होंने यह भी कहा कि एक ट्रेन की लागत में सिर्फ डिब्बों का खर्च ही नहीं, बल्कि अन्य कई कारक भी शामिल होते हैं।
क्या है पूरा मामला?
रेल विकास निगम लिमिटेड (RVNL) और रूस की कंपनी मेट्रोवैगनमैश के बीच 120 वंदे भारत स्लीपर ट्रेन के निर्माण का अनुबंध हुआ है, जबकि 80 और ट्रेनों के लिए टीटागढ़ वैगन और बीएचईएल के बीच अनुबंध किया गया है। इस अनुबंध के तहत ट्रेनों की डिलीवरी पर 26,000 करोड़ रुपये का भुगतान होगा और रखरखाव के लिए 32,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। पहले हर ट्रेन में 16 डिब्बे होने थे, लेकिन अब इसे बढ़ाकर 24 कर दिया गया है, जिससे ट्रेनों की कुल संख्या 200 से घटकर 133 हो गई है।
रेल मंत्रालय का जवाब
रेल मंत्रालय ने कहा कि पहले 16 डिब्बों वाली 200 ट्रेनों के निर्माण की योजना थी, जिसमें कुल 3,200 डिब्बों का निर्माण होना था। अब डिब्बों की संख्या बढ़ाकर 24 कर दी गई है, जिससे ट्रेनों की संख्या घटकर 133 हो गई, लेकिन कुल 3,192 डिब्बों का निर्माण होगा। मंत्रालय ने यह भी कहा कि ट्रेन की लंबाई बढ़ने से निर्माण लागत में बचत हुई है और अनुबंध की कुल लागत वास्तव में कम हुई है।
मंत्रालय ने बताया कि रेलवे यात्रा की बढ़ती मांग को देखते हुए 12,000 गैर-एसी कोच भी बनाए जा रहे हैं।