फरीदाबाद। कांग्रेस प्रत्याशी महेंद्र प्रताप सिंह ने पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ा और वे भाजपा प्रत्याशी कृष्णपाल गुर्जर से चुनाव हार गए। उनके चुनाव हारने के कई कारण रहे हैं। इन में सबसे बड़ा कारण जिले में संगठन का न होना था। यदि कांग्रेस का संगठन जिला और खंड स्तर पर होता तो इन पदाधिकारियों से कितने लोग पार्टी से जुड़ते।
जबकि भाजपा के संगठन में मतदाता सूची के एक पन्ना का प्रमुख कार्यकर्ता बनाया हुआ है। मतदान केंद्र के स्तर पर एक केंद्र प्रमुख और 18 केंद्रों के ऊपर शक्ति प्रमुख बनाया है। जबकि कांग्रेस में न तो जिलाध्यक्ष और न ही जिला स्तर पर कोई पदाधिकारी। इस तरह से न तो ब्लाक स्तर पर कोई अध्यक्ष और न ही पदाधिकारी है।
कांग्रेस प्रत्याशी महेंद्र प्रताप सिंह की हार का दूसरा कारण पार्टी द्वारा टिकट देरी से देना। जब कांग्रेस ने महेंद्र प्रताप सिंह को टिकट दी, तब तक भाजपा प्रत्याशी कृष्णपाल गुर्जर छह विधानसभा क्षेत्रों में विधानसभा स्तर की रैलियों का आयोजन कर चुके थे। देरी से टिकट दिए जाने के कारण महेंद्र प्रताप सिंह ज्यादा मतदाताओं से संपर्क नहीं कर पाए।
उनके पुत्र विजय प्रताप सिंह और घर की महिलाओं ने भी जनसंपर्क किया। वे जनसंपर्क में भाजपा प्रत्याशी के मुकाबले पिछड़ गए। तीसरा कारण महेंद्र प्रताप सिंह पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे थे। उनके प्रचार के लिए स्टार प्रचारक के रूप में सिर्फ पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष उदयभान ने ही चुनावी सभाओं को संबोधित किया।
उनके प्रचार में बड़े स्टार प्रचारक राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे व अन्य नहीं आए। जबकि भाजपा प्रत्याशी कृष्णपाल गुर्जर के प्रचार में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी, राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष जयंत चौधरी ने प्रचार किया।
चौथा कांग्रेस प्रत्याशी महेंद्र प्रताप सिंह की हार का कारण पार्टी की अंदरूनी गुटबाजी बहुत ज्यादा होना रहा। उनके प्रचार में भूपेंद्र सिंह हुड्डा, प्रदेश अध्यक्ष उदयभान गुट के नेता जमकर प्रचार करते हुए दिखाई दिए। जबकि पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कुमारी सैलजा समर्थक नेता फरीदाबाद को छोड़ कर सिरसा में ज्यादा सक्रिय रहे।
भाजपा प्रत्याशी कृष्णपाल गुर्जर के पक्ष में शुरुआत में जो नेता नाराज थे आखिरी चरण आते-आते वे भी उनके गोद में जाकर बैठ गए। उनका संगठन समर्थन मजबूत होता हुआ चला गया। पांचवां कांग्रेस प्रत्याशी महेंद्र प्रताप सिंह की हार का कारण प्रभावी रूप से भाजपा प्रत्याशी कृष्णपाल गुर्जर पर अपने भाषणों में हमलावर नहीं हो पाना रहा।