दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार के कांवड़ यात्रा से जुड़े एक आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई की। यूपी सरकार के आदेश में कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित भोजनालयों को मालिकों के नाम लिखने को कहा गया है। सुनवाई के बाद कोर्ट ने उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश सरकार के निर्देश पर अंतरिम रोक लगा दी। कोर्ट ने तीनों राज्यों को नोटिस जारी कर जवाब भी मांगा है। कोर्ट ने कहा कि दुकानदारों को अपना नाम बताने की जरूरत नहीं है।
वे सिर्फ यह बताएं कि उनके पास कौन-से और किस प्रकार के खाद्य पदार्थ उपलब्ध हैं। इससे पहले याचिकाकर्ताओं के वकील ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि यह चिंताजनक स्थिति है, जहां पुलिस अधिकारी समाज को बांटने का बीड़ा उठा रहे हैं। अल्पसंख्यकों की पहचान करके उनका आर्थिक बहिष्कार किया जाएगा। यूपी और उत्तराखंड के अलावा दो और राज्य इसमें शामिल हो गए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्या यह प्रेस स्टेटमेंट था या औपचारिक आदेश कि इन्हें प्रदर्शित किया जाना चाहिए?
यह कोई औपचारिक आदेश नहीं
याचिकाकर्ताओं के वकील ने जवाब दिया कि पहले प्रेस स्टेटमेंट था और फिर लोगों में आक्रोश दिखने लगा और इस पर कहा कि यह स्वैच्छिक है, लेकिन वे इसका सख्ती से पालन कर रहे हैं। वकील ने कहा कि यह कोई औपचारिक आदेश नहीं है, बल्कि पुलिस सख्त कार्रवाई कर रही है। याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि यह एक छद्म आदेश है।
आर्थिक स्थिति पर चोट पहुंचेगी
याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता सीयू सिंह ने कहा कि अधिकांश लोग बहुत गरीब, सब्जी और चाय की दुकान चलाने वाले हैं और इस तरह के आर्थिक बहिष्कार के कारण उनकी आर्थिक स्थिति खराब हो जाएगी। इसका पालन न करने पर हमें बुलडोजर की कार्रवाई का सामना करना पड़ा है।
सिंघवी ने दी यह दलील
सुप्रीम कोर्ट ने सिंघवी से कहा कि हमें स्थिति को इस तरह से नहीं बताना चाहिए कि यह जमीनी हकीकत से ज्यादा बढ़ा-चढ़ाकर पेश की जाए। इन आदेशों में सुरक्षा और स्वच्छता के आयाम भी शामिल हैं। सिंघवी ने कहा कि कांवड़ यात्रा दशकों से होती आ रही है और मुस्लिम, ईसाई और बौद्ध समेत सभी धर्मों के लोग उनकी यात्रा में मदद करते हैं। अब आप उन्हें बाहर कर रहे हैं।
सिंघवी के तर्क पर सुप्रीम कोर्ट ने पूछा सवाल
सिंघवी ने कहा कि हिंदुओं की ओर से भी बहुत से शुद्ध शाकाहारी रेस्टोरेंट चलाए जाते हैं। इनमें मुस्लिम कर्मचारी भी काम कर सकते हैं। क्या मैं कह सकता हूं कि मैं वहां कुछ भी नहीं खाऊंगा, क्योंकि वहां का खाना किसी न किसी तरह से मुसलमानों या दलितों की ओर से बनाया या परोसा जा रहा है? निर्देश में स्वेच्छा से लिखा है, लेकिन स्वेच्छा कहां है? अगर मैं बताऊंगा तो मैं दोषी हूं और अगर नहीं बताऊंगा तो भी मैं दोषी हूं। सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्या कांवड़ यात्रा के श्रद्धालु (कांवरियां) भी यह उम्मीद करते हैं कि खाना किसी खास श्रेणी के मालिक द्वारा पकाया जाना चाहिए?
सदन दल के लिए नहीं देश के लिए ही है… बजट सत्र से पहले पीएम मोदी की विपक्ष को नसीहत
संसद का बजट सत्र आज (22 जुलाई) से शुरू हो रहा है। संसद की कार्यवाही शुरू होने से पहले पीएम मोदी ने मीडिया को संबोधित किया। उन्होंने कहा महत्वपूर्ण सत्र की शुरुआत हो चुकी है। इस सत्र पर देश की नजर रहेगी। तीसरी पारी का पहला बजट रखने का सौभाग्य प्राप्त हो, ये भारत के लोकतंत्र की गौरवयात्रा की अत्यंत गरिमापूर्ण यात्रा के रूप में देश इसे देख रहा है। ये बजट सत्र है, मैं देशवासियों को जो गारंटी देता रहा हूं उन गारंटियों को जमीन पर उतारना इस लक्ष्य को लेकर हम आगे बढ़ रहे हैं। ये अमृतकाल का मह्तवपूर्ण बजट है। ये अगले 5 साल का दिशा भी तय करेगा और 2047 के सपने को पूरा करने के लिए मजबूत नींव लेकर हम कल देश के सामने आएंगे।
पढ़िए पीएम मोदी के संबोधन की बड़ी बातें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “आज सावन का पहला सोमवार है। इस पावन दिन पर एक महत्वपूर्ण सत्र शुरू हो रहा है। मैं सावन के पहले सोमवार पर देशवासियों को शुभकामनाएं देता हूं। आज संसद का मानसून सत्र शुरू हो रहा है। आज पूरे देश की नजर इस पर है। यह एक सकारात्मक सत्र होना चाहिए।”
हर देशवासी के लिए गर्व की बात है कि भारत सबसे तेज गति से विकास करने वाला देश है। 8 प्रतिशत की ग्रोथ के साथ आगे बढ़ रहे हैं। आज की हालत में पॉजिटिव आउटलुक है। देश में अवसर का पीक है। ये अपने आप में भारत की विकास यात्रा का एक अहम पड़ाव है।
मैं देश के सभी सांसदों से आग्रह पूर्वक करना चाहता हूं कि हम गत जनवरी से लेकर हमारे पास जितना सामर्थ्य था जिनती लड़ाई लड़नी थी लड़ ली, जनता को सबकुछ बताया। किसी ने राह दिखाने का प्रयास किया, किसी ने गुमराह करने का प्रयास किया, वो दौर अब समाप्त हो गया, देशवासियों ने अपना निर्णय दे दिया, अब चुने हुए सभी सांसदों का कर्तव्य है, सभी राजनीतिक दलों की जिम्मेदारी है कि हमने दल के लिए जितनी लड़ाई लड़नी थी लड़ ली अब आने वाले 5 साल के लिए हमें देश के लिए लड़ना है, देश के लिए जीना है।
एक और नेक बनकर जूझना है। मैं सभी राजनीतिक दलों से भी कहूंगा कि आइए हम आने वाले चार साढ़े 4 साल दल से ऊपर उठकर सिर्फ देश को समर्पित होकर संसद के इस गरिमापूर्ण मंच का हम उपयोग करें। जनवरी 2029 जब चुनाव का वर्ष होगा आप इसके बाद जाइए मैदान में सदन का उपयोग करना है कर लीजिए 6 महीने जो खेल खेलना है खेल लीजिए लेकिन तबतक देश और देश के गरीब और किसान, युवा, महिलाएं उनके सामर्थ्य के लिए ताकत देने के लिए जनभागीदारी का एक जन आंदोलन खड़ा करना होगा।
आज दुख के साथ कहना चाहता हूं कि 2014 के बाद कुछ सांसद एक साल के लिए आए कुछ को दो मौका मिला बहुत सारे सांसद ऐसे थे जिसे अपनी बात कहने का मौका नहीं मिला, दलों की नकारात्मक राजनीतिक ने एक एक सांसद के महत्वपूर्ण समय को राजनीतिक विफलताओं को ढंकने के लिए किया। मैं सभी दलों से आग्रह करता हूं कि जो कम से कम पहली बार सदन में आए हैं सभी दल में ऐसे सांसद हैं उनको अवसर दीजिए चर्चा में उनके विचारों को प्रकट करने का मौका दीजिए, ज्यादा से ज्यादा लोगों को आने का मौका दीजिए।
संसद में जो गतिरोध किया गया उसका किसी को पश्चाताप तक नहीं, देशवासियों ने हमें यहां देश के लिए भेजा है, दल के नहीं। ये सदन दल के लिए नहीं, देश के लिए है। ये सदन 140 करोंड़ देशवासियों के लिए है।
देश को नई ऊंचाई पर ले जाने का वक्त है। मैं पूरा आशा करता हूं सदन में सकारात्मक रूप से उपयोग किया जाएगा। PM ने सदन की कार्यवाही सुचारू ढंग से चलने देने की अपील की प्रधानमंत्री मोदी संसद के बजट सत्र के महत्वपूर्ण होने की बात कहते हुए सभी राजनीतिक दलों से सदन में बजट पर चर्चा करने और सुचारू ढंग से सदन की कार्यवाही को चलने देने की अपील की। इससे पहले, संसद के बजट सत्र को लेकर रविवार को बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में भी सरकार ने संसद के सुचारू कामकाज के लिए सभी राजनीतिक दलों से सहयोग मांगा।
सर्वदलीय बैठक में भी विपक्ष को नसीहत
सर्वदलीय बैठक की अध्यक्षता करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सभी मुद्दों पर खुले दिल से चर्चा के लिए तैयार रहने की बात कहते हुए विपक्षी दलों को नसीहत भी दी। उन्होंने कहा कि पिछले सत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण पर दोनों सदनों- लोकसभा और राज्यसभा में विपक्षी दलों ने जो हंगामा और व्यवधान किया, वह संसदीय परंपरा के लिए उचित नहीं था। बैठक का समापन करते हुए, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बैठक में उठाए गए महत्वपूर्ण मुद्दों की ओर ध्यान आकर्षित करने के लिए सभी नेताओं को धन्यवाद दिया और कहा कि इन मुद्दों का ध्यान रखा जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि हमें कार्यवाही के दौरान संसद की पवित्रता बनाए रखनी चाहिए। सरकार संसद के संबंधित सदनों के नियमों और संबंधित पीठासीन अधिकारियों के निर्णयों के अधीन इन सभी मुद्दों पर चर्चा के लिए तैयार है।
‘संसद चलाना सरकार के साथ-साथ विपक्ष की भी जिम्मेदारी’
केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने सर्वदलीय बैठक के समापन के बाद कहा कि संसद को सुचारू ढंग से चलाना सरकार के साथ-साथ विपक्ष की भी जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि सर्वदलीय बैठक में भाजपा को मिलाकर 41 राजनीतिक दलों के 55 नेता शामिल हुए। नेताओं ने बजट सत्र को लेकर कई अच्छे सुझाव भी दिए। सभी राजनीतिक दलों ने बैठक में अपने-अपने मुद्दों को रखा। सरकार संबंधित पीठासीन अधिकारियों द्वारा प्रक्रिया और कार्य संचालन नियमों के तहत अनुमति के अनुसार किसी भी मुद्दे पर सदन के पटल पर चर्चा करने के लिए हमेशा तैयार है।
सभी दलों के नेताओं से मांगा सहयोग और समर्थन
उन्होंने संसद के दोनों सदनों के सुचारू कामकाज के लिए सभी दलों के नेताओं से सहयोग और समर्थन का भी अनुरोध किया। उन्होंने यह भी बताया कि यह सत्र मुख्य रूप से 2024-25 के लिए केंद्रीय बजट से संबंधित फाइनेंशियल बिजनेस के लिए समर्पित होगा, जिसे मंगलवार, 23 जुलाई को लोकसभा में प्रस्तुत किया जाएगा। 2024 के लिए केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर का बजट भी 23 जुलाई को प्रस्तुत किया जाएगा।
आज सदन में रखा जाएगा आर्थिक सर्वेक्षण
सत्र के पहले दिन, सोमवार को भारत के आर्थिक सर्वेक्षण को संसद के पटल पर रखा जाएगा। आवश्यक विधायी और अन्य जरूरी कामकाज भी सत्र के दौरान किए जाएंगे। 18वीं लोकसभा के दूसरे सत्र और राज्य सभा के 265वें सत्र के दौरान सरकार संसद में वित्त (नंबर 2) विधेयक- 2024, आपदा प्रबंधन (संशोधन) विधेयक-2024, बॉयलर बिल-2024, भारतीय वायुयान विधायक – 2024, कॉफ़ी (संवर्धन और विकास) विधेयक- 2024 और रबर (संवर्धन और विकास) विधेयक – 2024 सहित छह विधेयकों को पेश कर पारित करवाने का प्रयास करेगी। इसके साथ ही तीन वित्तीय विषय- केंद्रीय बजट, 2024-25 पर सामान्य चर्चा, वर्ष 2024-25 के लिए अनुदान की मांगों पर चर्चा एवं मतदान और संबंधित विनियोग विधेयक पारित करवाने के साथ ही वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर की अनुदान मांगों पर चर्चा और मतदान और संबंधित विनियोग विधेयक का परिचय, विचार और पारित करवाना भी सरकार के एजेंडे में है।