स्कूल चले अभियान का निकला दम

मथुरा। उत्तर प्रदेश सरकार के प्राथमिक शिक्षा विभाग द्वारा वर्ष 2025 _26 के अंतर्गत प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों में विद्यार्थियों की संख्या बढ़ाने के लिए विभिन्न कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं । इसी कार्यक्रम के अंतर्गत स्कूल चले अभियान की बड़ी जोर शोर से शुरुआत की गई। सत्र के प्रारंभ में तो इस अभियान में कुछ दम नजर आया लेकिन अब इस अभियान की गति कुछ मध्ययम पड़ गई है । यह अभियान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री माननीय योगी आदित्यनाथ और शिक्षा मंत्री के आदेश पर जनपदों के सभी विद्यालयों में शुरू किया गया। जिससे इन विद्यालयों में बालक और बालिकाओं की संख्या बढ़ सके और कोई भी बच्चा बिना शिक्षा के वंचित न रहे लेकिन यह देखने में आ रहा है कि ग्राम पंचायत में स्थित विद्यालयों में नियुक्त अध्यापक और अध्यापिकाएं रुचि कम ले रहे हैं और वह इस अभियान में गड़बड़ी कर रहे हैं । इसी कड़ी में आज ग्राम पंचायत: नगला काशी, ब्लॉक :मथुरा के अंतर्गत जाना हुआ जिसमें देखा कि नगला पोखरा के प्राथमिक विद्यालयों में चार शिक्षकों पर पूरे विद्यालय में मात्र चार विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं जिसमें तीन बालक और एक बालिका पाई गई ।

जब प्रधानाध्यापिका से इस बारे में बात की तो उन्होंने कहा कि अभी खेती का समय चल रहा है और बच्चे अपने माता-पिता के साथ खेतों में चले जाते हैं और उनकी कृषि के कार्यों में हाथ बटाते हैं ।उन्होंने कहा कि इस विद्यालय में पानी की व्यवस्था नहीं है और हाथ साफ करने के लिए मशीन लगाई गई थी जिसको गांव वाले उखाड़ कर ले गए हैं। स्कूल के प्रांगण में मैं जैविक खाद बनाने का स्थान बना हुआ है जो कि गलत है, विद्यालय की दीवाल टूटी हुई है, शौचालय में पानी नहीं है और सफाई कर्मी कम ही आते हैं जिससे हमें स्वयं ही सफाई व्यवस्था करवानी पड़ती है और और अंत में जब वहां से चलने से पहले विद्यालय का एक फोटो निकालने के लिए कहा तो वहां मौजूद अन्य शिक्षिकाएं नाराज हो गई और कहां की क्या आपके पास में पहचान पत्र है तो हमने कहा मैडम है आप बिल्कुल देख सकते हैं और इन्होंने देखा,लेकिन आप हमको खबर करने से नहीं रोक सकते है।

अब सवाल यह उठता है कि इन शिक्षिकाओं को फोटो से इतनी आपत्ति क्यों हुई क्या विद्यालय में यह सही तरीके से अपनी जिम्मेदारी निभाने में असमर्थ थी या इनको किस बात का डर महसूस हो रहा था। यह सोचनीय है ।केंद्र और प्रदेश सरकार के भरसक प्रयासों के बावजूद बच्चे सरकारी स्कूल में दाखिला लेने में हिचक रहे हैं लेकिन प्राइवेट विद्यालयों में दौड़े जा रहे हैं जब कि सरकार द्वारा वर्दी, किताबे ,भोजन , फीस आदि मुफ्त में उपलब्ध कराई जा रही है और वहां पर अभिभावकों का हर तरह से शोषण हो रहा है।

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