नई दिल्ली। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ मुद्दे पर अपनी रिपोर्ट गुरुवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंप दी। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने की कोविंद समिति की सिफारिश को लोकतांत्रिक प्रणाली के लिए ‘ऐतिहासिक दिन’ करार दिया।
समिति ने पहले कदम के तहत लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराने की और इसके बाद 100 दिनों के भीतर एक साथ स्थानीय निकाय चुनाव कराने की सिफारिश की है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंपी गई 18000 से ज्यादा पन्नों की रिपोर्ट में कोविंद की अगुवाई वाली समिति ने कहा है कि एक साथ चुनाव कराए जाने से विकास प्रक्रिया और सामाजिक एकजुटता को बढ़ावा मिलेगा, लोकतांत्रिक परंपरा की नींव गहरी होगी और “इंडिया जो कि भारत है” की आकांक्षाओं को साकार करने में मदद मिलेगी।
अमित शाह ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, ‘आज का दिन देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए ऐतिहासिक दिन है. मोदी सरकार द्वारा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में ‘एक देश – एक चुनाव’ पर गठित उच्चस्तरीय समिति का प्रतिवेदन, राष्ट्रपति महोदया के समक्ष प्रस्तुत किया।’
समिति ने सिफारिश की है कि भारत निर्वाचन आयोग राज्य चुनाव अधिकारियों के परामर्श से एकल मतदाता सूची और मतदाता पहचान पत्र तैयार करे. समिति ने कई संवैधानिक संशोधन की सिफारिश की है जिनमें से ज्यादातर के लिए राज्यों के अनुमोदन की जरूरत नहीं होगी।
इस समिति ने अपनी सिफारिशों में कहा कि त्रिशंकु स्थिति या अविश्वास प्रस्ताव या ऐसी किसी स्थिति में नयी लोकसभा के गठन के लिए नए सिरे से चुनाव कराए जा सकते हैं। समिति ने कहा कि लोकसभा के लिए जब नये चुनाव होते हैं, तो उस सदन का कार्यकाल ठीक पहले की लोकसभा के कार्यकाल के शेष समय के लिए ही होगा।
उसने कहा कि जब राज्य विधानसभाओं के लिए नए चुनाव होते हैं, तो ऐसी नयी विधानसभाओं का कार्यकाल -अगर जल्दी भंग नहीं हो जाएं- लोकसभा के पूर्ण कार्यकाल तक रहेगा। इस समिति में गृहमंत्री अमित शाह, वित्त आयोग के पूर्व प्रमुख एनके सिंह, लोकसभा के पूर्व महासचिव सुभाष कश्यप, राज्यसभा में विपक्ष के पूर्व नेता गुलाम नबी आजाद और विधि मंत्री अर्जुन राम मेघवाल भी शामिल हैं।