नई दिल्ली। महाराष्ट्र में जीका वायरस के कुछ मामले सामने आने के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय अलर्ट हो गया है. स्वास्थ्य मंत्रालय ने बुधवार को सभी राज्यों को परामर्श जारी कर स्थिति की निरंतर निगरानी बनाये रखने का निर्देश दिया है.
राज्यों से आग्रह किया गया है कि वे गर्भवती महिलाओं की जीका वायरस जांच कराये जाने पर ध्यान दें और संक्रमित पाई जाने वाली महिलाओं के भ्रूण के विकास की निगरानी करें. आपको बताते हैं कि जीका वायरस क्या है. साथ ही इसके लक्षण और बचाव के बारे में भी बताते हैं.
क्या है जीका वायरस?
जीका वायरस संक्रमण एडीज मच्छर के काटने से फैलता है. इस मच्छर से डेंगू और चिकनगुनिया भी होता है. ये मुख्य रूप से एडीज एजिप्टी और एडीज एल्बोपिक्टस के काटने से फैलता है. पहली बार जीका वायरस की पहचान 1947 में युगांडा में की गई थी.
अफ्रीका, दक्षिण पूर्व एशिया, प्रशांत द्वीप और अमेरिका में सबसे ज्यादा जीका वायरस के मामले सामने आते हैं. हालांकि, जीका संक्रमण से मौत नहीं होती है, लेकिन इसमें संक्रमित गर्भवती महिला के शिशु में ‘माइक्रोसेफेली’ की समस्या हो सकती है, जिसमें उसके सिर का आकार अपेक्षाकृत बहुत छोटा हो जाता है.
जीका वायरस के लक्षण
जीका वायरस के लक्षणों में तेज बुखार, सिरदर्द, बदन दर्द, थकान, शरीर पर चकत्ते होना, आंखों में दर्द, प्लेटलेट्स कम होना, पेट में दर्द, उल्टी और मतली शामिल है. जीका वायरस में सबसे पहले तेज बुखार होता है और फिर धीरे-धीरे बाकी लक्षण भी नजर आने लगते हैं.
जीका वायरस से बचाव और उपचार?
जीका वायरस का कोई खास इलाज नहीं है. आमतौर पर इसका उपचार लक्षणों को कम करने के लिए किया जाता है. हालांकि, बचाव के लिए मच्छरदानी, मच्छर भगाने वाले क्रीम और पूरी आस्तीन के कपड़े पहनें. इसके अलावा जीका वायरस से प्रभावित क्षेत्र में जाने से बचें, घर के अंदर खिड़कियों में जाली लगाएं. घर में कोई प्रेग्नेंट महिला है तो ज्यादा सावधानी बरतें.
गर्भवती महिलाओं के लिए परामर्श जारी
बुधवार को स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी परामर्श में कहा गया है कि चूंकि जीका वायरस से संक्रमित गर्भवती महिलाओं के भ्रूण में ‘माइक्रोसेफेली’ और तंत्रिका संबंधी समस्याएं हो सकती हैं, इसलिए राज्यों को सलाह दी गई है कि वे चिकित्सकों को इसकी करीबी निगरानी करने के लिए कहें.
राज्यों से आग्रह किया गया है कि वे प्रभावित क्षेत्रों में स्थित स्वास्थ्य संस्थानों या संक्रमित मरीजों की देखभाल करने वाली संस्थाओं को निर्देश दें कि वे गर्भवती महिलाओं की जीका जांच करें और संक्रमण की पुष्टि होने पर महिलाओं के भ्रूण के विकास की निगरानी करते हुए केंद्र सरकार के दिशानिर्देशों के अनुसार कार्य करें. इस साल दो जुलाई तक पुणे में जीका के छह और कोल्हापुर व संगमनेर में एक-एक मामला सामने आ चुका है.