नई दिल्ली: शिक्षक दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने गुरूवार को एक भव्य समारोह में देश भर के शिक्षकों को राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किए। अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने शिक्षकों की समाज में महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि “शिक्षक किसी भी शिक्षा प्रणाली की सफलता में सबसे अहम भूमिका निभाते हैं। शिक्षण एक पवित्र मिशन है, जो मानव विकास का आधार है।”
राष्ट्रपति ने शिक्षकों से आह्वान किया कि वे ऐसे नागरिक तैयार करें जो न केवल शिक्षित हों, बल्कि संवेदनशील, ईमानदार और उद्यमी भी बनें। उन्होंने कहा कि “सफल जीवन का अर्थ दूसरों के कल्याण के लिए काम करना है। छात्रों को नैतिकता, करुणा और सार्थक जीवन का महत्व सिखाना शिक्षकों का कर्तव्य है।”
राष्ट्रपति मुर्मु ने यह भी कहा कि शिक्षकों को प्रत्येक बच्चे की स्वाभाविक प्रतिभा को पहचानना और उसे निखारना चाहिए, क्योंकि “प्रत्येक छात्र में अद्वितीय क्षमता होती है, चाहे वह खेल, नेतृत्व कौशल या सामाजिक कल्याण में हो।”
समाज में महिलाओं की स्थिति को विकास का मानदंड बताते हुए उन्होंने कहा कि “शिक्षकों और अभिभावकों का दायित्व है कि वे बच्चों को महिलाओं की गरिमा के अनुरूप व्यवहार करना सिखाएं। महिलाओं का सम्मान केवल शब्दों में नहीं, बल्कि व्यवहार में भी होना चाहिए।”
राष्ट्रपति ने शिक्षकों को ज्ञान अर्जित करने की प्रक्रिया को निरंतर बनाए रखने पर जोर दिया, ताकि उनका शिक्षण प्रासंगिक और रोचक बना रहे। उन्होंने कहा, “महान शिक्षक ही एक महान राष्ट्र का निर्माण करते हैं। विकसित मानसिकता वाले शिक्षक ही ऐसे नागरिक बना सकते हैं जो एक विकसित भारत का निर्माण करेंगे।”
समारोह में उपस्थित शिक्षकों को प्रेरित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि उनके छात्रों की पीढ़ी एक विकसित भारत का निर्माण करेगी और उन्हें वैश्विक मानसिकता व विश्व स्तरीय कौशल हासिल करने के लिए प्रेरित किया।