सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के उस आदेश को रद्द कर दिया है, जिसमें सड़क दुर्घटना पीड़ित की उम्र निर्धारण के लिए आधार कार्ड को वैध दस्तावेज माना गया था। न्यायमूर्ति संजय करोल और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने यह स्पष्ट किया कि मृतक की उम्र का निर्धारण किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 की धारा 94 के तहत किया जाना चाहिए। इसके अनुसार, उम्र के प्रमाण के रूप में स्कूल छोड़ने के प्रमाण पत्र में दर्ज जन्म तिथि को ही स्वीकार किया जाना चाहिए।
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