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सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को लगाई फटकार, कहा- पानी की बर्बादी रोकने के लिए आपने क्या किया?

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को फटकार लगाते हुए जल की कमी से जूझ रही राष्ट्रीय राजधानी में जल की बर्बादी रोकने के लिए उठाए गए कदमों का ब्योरा मांगा है। हरियाणा को उसका हिस्सा पानी देने के लिए आदेश देने की मांग करने वाली दिल्ली सरकार को गुरुवार तक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया गया है।

भाजपा ने आप पर संसाधनों का दुरुपयोग करने और संकट पैदा करने का आरोप लगाया है और आतिशी तथा सौरभ भारद्वाज से जवाब मांगा है। जवाब में आप ने भाजपा नीत हरियाणा सरकार की दिल्ली को वादे के मुताबिक जल का हिस्सा नहीं देने के लिए आलोचना की है और उपराज्यपाल की भी आलोचना की है।

आतिशी ने हरियाणा सरकार पर दिल्ली को जानबूझकर जल आपूर्ति रोकने का आरोप लगाया और हरियाणा द्वारा न्यायालय में पेश हलफनामे का हवाला दिया, जिसमें उनके झूठे दावों को उजागर किया गया है। उन्होंने जल नहर रखरखाव के मुद्दों और जल चोरी के लिए आप सरकार को दोषी ठहराने के लिए दिल्ली उपराज्यपाल की भी आलोचना की।

उपराज्यपाल के इस बयान के बाद दिल्ली भाजपा ने आप की आलोचना की कि हरियाणा ने दिल्ली को जरूरी जल दे दिया है। भाजपा इसे आगामी विधानसभा चुनाव से पहले समर्थन हासिल करने के अवसर के रूप में देख रही है।

न्यायालय ने हिमाचल प्रदेश को दिल्ली के हथिनीकुंड बैराज में 137 क्यूसेक पानी छोड़ने का आदेश दिया है, लेकिन इसके लिए हरियाणा सरकार से सहयोग की आवश्यकता है, जिसका आप का कहना है कि अभाव है। पिछले सप्ताह सर्वोच्च न्यायालय ने हरियाणा को निर्देश दिया था कि वह बिना किसी बाधा के दिल्ली में पानी का प्रवाह होने दे, ताकि शहर को पीने का पानी मिल सके।

दिल्ली अपने पीने के पानी की आपूर्ति के लिए हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश जैसे पड़ोसी राज्यों पर बहुत अधिक निर्भर है, जिसमें से एक बड़ा हिस्सा यमुना नदी से आता है, जिसके कारण हरियाणा के साथ वर्तमान विवाद है। दिल्ली को प्रतिदिन लगभग 1,300 मिलियन गैलन पानी की आवश्यकता होती है, लेकिन दिल्ली जल बोर्ड प्रतिदिन केवल अनुमानित 1,000 मिलियन गैलन पानी ही उत्पादित कर पाता है।

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