नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कोलकाता में एक प्रशिक्षु महिला चिकित्सक के साथ हुई घटना के विरोध में चल रहे डॉक्टर्स से काम पर वापस लौटने का आदेश दिया है। न्यायालय ने मंगलवार शाम पांच बजे तक डॉक्टरों को काम पर लौटने का निर्देश दिया और आश्वासन दिया कि इस दौरान उनके खिलाफ कोई प्रतिकूल कार्रवाई नहीं की जाएगी।
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने चेतावनी दी है कि यदि डॉक्टर काम पर वापस नहीं लौटते हैं, तो उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है। न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि अगर डॉक्टर काम पर नहीं लौटते हैं, तो राज्य सरकार को आवश्यक कार्रवाई करने से नहीं रोका जा सकता है।
बंगाल सरकार ने दिया आश्वासन
वरिष्ठ अधिवक्ता गीता लूथरा ने कहा कि डॉक्टरों को धमकियां मिल रही हैं। पश्चिम बंगाल सरकार ने शीर्ष अदालत को आश्वासन दिया कि यदि प्रदर्शनकारी चिकित्सक काम पर लौटते हैं, तो उनके खिलाफ दंडात्मक स्थानांतरण सहित कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी।
डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि अस्पतालों में डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए आवश्यक व्यवस्था की जाए, जिसमें पुरुषों और महिलाओं के लिए शौचालय की सुविधा शामिल हो। न्यायालय ने पश्चिम बंगाल के जिलाधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों को सरकारी मेडिकल कॉलेजों की सुरक्षा का जायजा लेने का निर्देश भी दिया।
सीबीआई को एक हफ्ते का समय
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को इस मामले में नई स्थिति रिपोर्ट 17 सितंबर तक जमा करने का निर्देश दिया। प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने सीबीआई की ओर से जमा की गई स्थिति रिपोर्ट का अध्ययन किया और कहा कि वे सीबीआई को जांच पर ‘गाइड’ नहीं करना चाहते हैं।
हड़ताल के कारण 23 मौतें
पश्चिम बंगाल सरकार ने उच्चतम न्यायालय को बताया कि इस हड़ताल के कारण 23 लोगों की मौत हो चुकी है। कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में 9 अगस्त को एक प्रशिक्षु महिला चिकित्सक के साथ दुष्कर्म और हत्या की घटना के विरोध में देशभर में डॉक्टर हड़ताल पर हैं।