दिल्ली सरकार पर उपराज्यपाल कार्यालय का गंभीर आरोप: ‘बंगले आवंटन में नियमों की अनदेखी’

दिल्ली के उपराज्यपाल कार्यालय ने शनिवार को एक बयान जारी कर आरोप लगाया है कि आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार ने फ्लैगस्टाफ रोड पर स्थित बंगले के आवंटन में नियमों और प्रक्रियाओं की अवहेलना की है और तथ्यों को छिपाकर जनता को गुमराह करने की ‘कुटिल और द्वेषपूर्ण हरकत’ में संलिप्त रही है। यह बयान मुख्यमंत्री आतिशी को बंगला आवंटित किए जाने के एक दिन बाद आया, जिसमें उन पर भी इस विवाद में शामिल होने का आरोप लगाया गया है।

AAP, भाजपा और उपराज्यपाल कार्यालय के बीच यह तकरार अरविंद केजरीवाल के नौ वर्षों तक मुख्यमंत्री के रूप में जिस बंगले में रहने के बाद उसे खाली करने और नए सिरे से आवंटन के मुद्दे पर बढ़ती जा रही है।

उपराज्यपाल कार्यालय के आरोप
उपराज्यपाल कार्यालय ने बयान में कहा कि केजरीवाल द्वारा बंगले की चाबी सौंपने और आतिशी को आवंटित किए जाने के 48 घंटों के भीतर AAP नेताओं ने नियमों को तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत किया और उपराज्यपाल पर निशाना साधते हुए जनता को गुमराह किया। बयान में कहा गया है कि आप सरकार ने नियमों की अवहेलना की और तथ्यों को छिपाया।

मुख्यमंत्री कार्यालय की प्रतिक्रिया
दिल्ली के मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) ने उपराज्यपाल कार्यालय के बयान पर नाराजगी जताई। सीएमओ के सूत्रों ने कहा, “उपराज्यपाल कार्यालय का बयान अपशब्दों और आरोपों से भरा हुआ है, जिससे दुख हुआ।” उन्होंने यह भी कहा कि AAP सरकार उपराज्यपाल द्वारा रोके गए कार्यों को फिर से शुरू करने के लिए काम कर रही है।

उपराज्यपाल के साथ दुर्व्यवहार का आरोप
दिल्ली सचिवालय ने दावा किया कि उपराज्यपाल के साथ “दुर्व्यवहार” किया गया और AAP नेताओं ने आरोप लगाया कि भाजपा के दबाव में उपराज्यपाल ने आतिशी को बंगला खाली करने के लिए मजबूर किया। वहीं, उपराज्यपाल सचिवालय ने कहा कि आतिशी ने मथुरा रोड पर पहले से एक और बंगला होने की बात को छिपाया और अनावश्यक नाटक किया।

भाजपा का ‘शीशमहल’ का आरोप
भाजपा ने फ्लैगस्टाफ रोड बंगले को ‘शीशमहल’ करार दिया और आरोप लगाया कि इसके निर्माण में अनियमितताएं की गईं। भाजपा ने आरोप लगाया कि कोविड महामारी के दौरान इस बंगले की सजावट में महंगी वस्तुओं का इस्तेमाल किया गया।

उपराज्यपाल कार्यालय ने AAP सरकार पर पिछले 10 वर्षों से कुशासन का आरोप लगाते हुए कहा कि अगर उन्होंने दो वर्षों के लिए भी सही तरीके से काम किया होता, तो दिल्ली की स्थिति काफी बेहतर होती।

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