नई दिल्ली: बाजार नियामक सेबी की प्रमुख माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच ने अमेरिकी शोध एवं निवेश फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च पर उनके चरित्र हनन और सेबी की विश्वसनीयता पर हमला करने का आरोप लगाया है।
हिंडनबर्ग के आरोप
हिंडनबर्ग ने शनिवार रात को जारी अपनी रिपोर्ट में संदेह जताया है कि अडानी समूह के खिलाफ कार्रवाई में सेबी की अनिच्छा का कारण सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच की अडानी समूह से जुड़े विदेशी कोष में हिस्सेदारी हो सकती है। हिंडनबर्ग ने आरोप लगाया कि माधबी और धवल ने बरमूडा और मॉरीशस में अस्पष्ट विदेशी कोषों में अघोषित निवेश किया था, जिनका कथित तौर पर विनोद अडानी ने पैसे की हेराफेरी और अडानी समूह की कंपनियों के शेयरों की कीमतें बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया था।
बुच दंपति का जवाब
हिंडनबर्ग के इन आरोपों के जवाब में बुच दंपति ने रविवार शाम को एक बयान जारी किया। उन्होंने कहा कि उनका निवेश आईआईएफएल वेल्थ मैनेजमेंट के एक फंड में सिंगापुर स्थित निजी नागरिक के रूप में किया गया था। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि माधबी ने सेबी में पूर्णकालिक सदस्य के रूप में शामिल होने से दो साल पहले यह निवेश किया था।
दंपति ने बताया कि धवल बुच 2019 से ब्लैकस्टोन में वरिष्ठ सलाहकार के रूप में कार्यरत हैं, लेकिन निजी इक्विटी फर्म के रियल एस्टेट पक्ष से जुड़े नहीं हैं। उनके अनुसार, 2017 में सेबी में पूर्णकालिक सदस्य के रूप में माधबी की नियुक्ति के तुरंत बाद उनकी दो परामर्श कंपनियां निष्क्रिय हो गई थीं।
हिंडनबर्ग को कारण बताओ नोटिस
बुच दंपति के बयान में कहा गया, “भारत में कई नियामकीय उल्लंघनों के लिए हिंडनबर्ग को कारण बताओ नोटिस भेजा गया था। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि नोटिस का जवाब देने के बजाय, हिंडनबर्ग ने सेबी की विश्वसनीयता पर हमला करने और सेबी चेयरपर्सन के चरित्र हनन की कोशिश की है।”
हिंडनबर्ग के अपनी ताजा रिपोर्ट जारी करने के तुरंत बाद बुच दंपति ने आरोपों को निराधार बताते हुए खारिज किया था।