नई दिल्ली। राज्यसभा में बृहस्पतिवार को आम आदमी पार्टी (आप) सदस्य संजय सिंह ने केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार के पास किसानों और छात्रों के ऋण माफ करने तथा पुरानी पेंशन व्यवस्था शुरू करने के लिए पैसे नहीं हैं, लेकिन उसने 43 कंपनियों के 3,53,000 करोड़ रुपये के कर्ज माफ कर दिए हैं।
संजय सिंह का आरोप
संजय सिंह ने वित्त विधेयक 2024-25 पर चर्चा के दौरान कहा, “महंगाई पर नियंत्रण, छात्रों और किसानों के ऋण माफ करने, अग्निवीर योजना के बदले पहले की व्यवस्था बहाल करने और पुरानी पेंशन योजना फिर से लागू करने के लिए सरकार के पास पैसे नहीं हैं, लेकिन उद्योगपतियों को लाभ देने के लिए सरकार के पास पैसे हैं।”
संजय सिंह ने बताया कि “देश की 43 कंपनियों पर बैंकों का 5,44,000 करोड़ रुपये का बकाया था और इसमें से 3,53,000 करोड़ रुपये माफ कर दिए गए हैं।” उन्होंने विभिन्न कंपनियों के नाम और आंकड़े पेश किए, जिससे सत्तापक्ष के सदस्य नाराज हो गए। आसन ने आप सदस्य से आंकड़ों को प्रमाणित करने को कहा, जिस पर सिंह ने कहा कि वे सरकार द्वारा मुहैया कराए गए आंकड़े प्रस्तुत कर रहे हैं।
संजय सिंह ने कांग्रेस नीत सरकार का उदाहरण देते हुए कहा कि “पूर्ववर्ती सरकार ने किसानों की कर्जमाफी के लिए 70,000 करोड़ रुपये दिए थे, जबकि इस सरकार ने कंपनियों को पांच गुना राशि दे दी है।”
जीएसटी और अन्य मुद्दे
चर्चा में भाग लेते हुए द्रमुक सदस्य कनिमाझी एनवीएन सोमू ने स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर लगने वाली 18 प्रतिशत जीएसटी को हटाने की मांग की और कहा कि सरकार को जीएसटी परिषद से सिफारिश करनी चाहिए। वाईएसआर कांग्रेस के सदस्य वी विजय साई रेड्डी ने शेयर बाजार के निवेशकों को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता पर जोर दिया और सरकारी बैंकों द्वारा बचत खाते में कम जमा राशि पर लगने वाले जुर्माने की आलोचना की।
ओडिशा और अन्य मुद्दे
तृणमूल कांग्रेस की डोला सेन ने सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के विनिवेश की आलोचना की और श्रमिक, किसान और आम लोगों को राहत देने की मांग की। बीजद के देवाशीष सामंतराय ने सरकार से ओडिशा के लिए किए गए वादों को पूरा करने की मांग की और कहा कि मौजूदा बजट क्षेत्रीय आकांक्षाओं को पूरा करने में विफल रहा है।
संजय यादव का आरोप
राजद के संजय यादव ने केंद्र सरकार की आर्थिक नीतियों की आलोचना करते हुए कहा कि “यह चंद उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए है। दूसरी ओर, ग्रामीण क्षेत्र और किसान गरीब से गरीब होते जा रहे हैं। बजट में राज्य के लिए किसी नए कारखाने या ट्रेन की घोषणा नहीं की गई है।”
संजय यादव ने कहा कि बिहार में बैंकों में एनपीए सबसे कम है, लेकिन वहां किसान क्रेडिट कार्ड की संख्या काफी कम है। बीआरएस सदस्य रविचंद्र वद्दीराजू ने अपनी बात तेलुगु में रखी।
इस दौरान राज्यसभा में विभिन्न मुद्दों पर तीखी बहस देखने को मिली, जिसमें सरकार की नीतियों और बजट पर गंभीर सवाल उठाए गए।