रिजर्व बैंक की द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा: चेक-क्लियरिंग सिस्टम होगा और भी तेज

नई दिल्ली। गुरुवार को रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक के नतीजों की घोषणा की। इस दौरान उन्होंने चेक-क्लियरिंग साइकल को मौजूदा दो कारोबारी दिनों से घटाकर कुछ घंटों में पूरा करने की योजना का ऐलान किया।

चेक-क्लियरिंग साइकल होगा तेज़
अब तक चेक ट्रंकेशन सिस्टम (CTS) के तहत चेक को बैच प्रोसेसिंग मोड में क्लियर किया जाता था। लेकिन गवर्नर ने घोषणा की कि CTS में ‘ऑन-रियलाइजेशन-सेटलमेंट’ के साथ निरंतर क्लियरिंग प्रक्रिया शुरू करके चेक-क्लियरिंग साइकल को कम किया जाएगा। इसका मतलब है कि चेक अब प्रस्तुत किए जाने के दिन कुछ घंटों के भीतर ही क्लियर हो जाएंगे। इससे चेक भुगतान में तेजी आएगी, जिससे भुगतानकर्ता और आदाता दोनों को लाभ होगा।

चेक ट्रंकेशन सिस्टम (CTS) की नई व्यवस्था
RBI मौद्रिक नीति बैठक के दौरान, गवर्नर ने बताया कि चेक ट्रंकेशन सिस्टम वर्तमान में चेक जमा करने से लेकर दो दिनों के क्लियरिंग साइकल के साथ काम करता है। लेकिन अब, नई घोषणा के तहत, चेक स्कैन, प्रस्तुत और पास किए जाएंगे और यह प्रक्रिया कारोबारी घंटों के दौरान लगातार जारी रहेगी। इससे समाशोधन साइकल वर्तमान T+1 दिनों से घटकर कुछ घंटों में ही पूरा हो जाएगा।

चेक ट्रंकेशन सिस्टम क्या है?
चेक ट्रंकेशन सिस्टम (CTS) चेक को इलेक्ट्रॉनिक रूप से क्लियर करने की एक प्रक्रिया है। इसमें भौतिक चेक को प्रस्तुतकर्ता बैंक द्वारा भुगतानकर्ता बैंक शाखा में ले जाने की जरूरत नहीं होती। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 2021 में इस प्रणाली को तेज करने के लिए यह कदम उठाया था। इसके तहत, फिजिकल चेक के बजाय, चेक की एक इलेक्ट्रॉनिक फोटो क्लियरिंग हाउस के माध्यम से भुगतानकर्ता शाखा को भेजी जाती है, साथ ही MICR कोड, प्रस्तुतकर्ता बैंक आदि जैसी आवश्यक जानकारी भी भेजी जाती है।

RBI की मौद्रिक नीति बैठक
RBI की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने लगातार नौवीं मौद्रिक नीति की बैठक के लिए बेंचमार्क रेपो रेट को 6.5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखने के लिए 4 से 2 बहुमत से मतदान किया। RBI ने वित्तीय वर्ष 2025 के लिए वास्तविक GDP वृद्धि अनुमानों को 7.2 प्रतिशत और CPI मुद्रास्फीति अनुमानों को 4.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा।

इस घोषणा से न केवल चेक-क्लियरिंग प्रक्रिया तेज होगी, बल्कि यह भारत के वित्तीय प्रणाली में एक महत्वपूर्ण सुधार के रूप में देखा जा रहा है, जो डिजिटल बैंकिंग को और अधिक सुलभ बनाएगा।

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