कोलकाता: कोलकाता के आर.जी. कर अस्पताल में ऑन-ड्यूटी डॉक्टर की रेप और हत्या की घटना के बाद देशभर के डॉक्टरों में आक्रोश है। इस घटना के विरोध में आज से 24 घंटे की हड़ताल शुरू हो गई है। भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए) ने 17 अगस्त सुबह 6 बजे से 18 अगस्त सुबह 6 बजे तक देशभर में सभी आधुनिक चिकित्सा डॉक्टरों की सेवाओं को बंद करने की घोषणा की है। हालांकि, आपातकालीन सेवाएं चालू रहेंगी, लेकिन इस दौरान कोई बाह्य रोगी विभाग (ओपीडी) या वैकल्पिक सर्जरी नहीं की जाएगी।
बिहार, रांची और मध्य प्रदेश में विरोध प्रदर्शन
देशभर के विभिन्न राज्यों से ओपीडी, इमरजेंसी सेवाएं, और पैथोलॉजी बंद रहने की सूचनाएं आ रही हैं। बिहार के समस्तीपुर में भी हड़ताल की घोषणा की गई है। रांची में आईएमए और विभिन्न डॉक्टर संगठनों द्वारा चिकित्सा कार्यों का बहिष्कार किया जा रहा है। रिम्स अस्पताल के जूनियर डॉक्टर और अन्य डॉक्टर संगठन रैली निकालेंगे, और नुक्कड़ नाटक के माध्यम से विरोध दर्ज करेंगे।
मध्य प्रदेश में भी हड़ताल का असर देखा जा रहा है। राज्य के 7,000 से अधिक जूनियर डॉक्टरों ने हड़ताल की घोषणा की है, जिससे स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हो रही हैं। निजी अस्पतालों की ओपीडी भी बंद रहेगी, हालांकि इमरजेंसी सेवाएं जारी रहेंगी।
राजस्थान में प्रशासन अलर्ट पर
राजस्थान के जयपुर में भी डॉक्टर्स की हड़ताल के मद्देनजर प्रशासन ने सतर्कता बढ़ा दी है। चिकित्सा मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर ने अस्पतालों में व्यवस्थाएं सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। जयपुर के एसएमएस अस्पताल और आरयूएचएस अस्पताल में वरिष्ठ चिकित्सकों की तीन शिफ्ट में ड्यूटी लगाई गई है ताकि मरीजों को उचित सेवाएं मिलती रहें।
फार्मासिस्ट कर्मचारियों का समर्थन
फार्मासिस्ट कर्मचारी भी इस हड़ताल में समर्थन दे रहे हैं। उन्होंने काली पट्टी बांधकर अपने कार्यस्थलों पर काम करने का निर्णय लिया है और आर.जी. कर अस्पताल से अमर जवान ज्योति तक निकलने वाली महा रैली में भाग लेंगे।
आईएमए की पांच प्रमुख मांगें
रेजिडेंट डॉक्टरों के काम करने और रहने की स्थिति में सुधार, विशेष रूप से सुरक्षा की दृष्टि से सुरक्षित स्थानों की व्यवस्था।
1897 के महामारी रोग अधिनियम में 2023 में किए गए संशोधनों को 2019 के प्रस्तावित अस्पताल संरक्षण विधेयक में शामिल करना।
14 अगस्त की रात आर.जी. कर अस्पताल में तोड़फोड़ करने वालों की पहचान कर सजा दिलवाना और अपराध की पेशेवर जांच सुनिश्चित करना।
सभी अस्पतालों के सुरक्षा प्रोटोकॉल को हवाई अड्डों के समान करना, सीसीटीवी कैमरे और सुरक्षा कर्मियों की तैनाती।
पीड़ित परिवार को उचित मुआवजा देना।
इस घटना ने देशभर के चिकित्सा समुदाय को झकझोर कर रख दिया है, और डॉक्टरों के लिए सुरक्षा की मांग एक बार फिर से प्रमुखता से उठी है।