नई दिल्ली। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा अधिग्रहित अत्याधुनिक उच्च प्रदर्शन कंप्यूटिंग (एचपीसी) प्रणाली का उद्घाटन किया। यह परियोजना मौसम और जलवायु अनुसंधान में एक नई क्रांति लाने के लिए 850 करोड़ रुपये के निवेश से तैयार की गई है। इसका उद्देश्य चरम मौसम घटनाओं के लिए अधिक सटीक और विश्वसनीय पूर्वानुमान प्रदान करना है।
इस प्रणाली को दो प्रमुख स्थलों पर स्थापित किया गया है—पुणे स्थित भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (आईआईटीएम) में 11.77 पेटा फ्लॉप्स की क्षमता और 33 पेटाबाइट स्टोरेज के साथ, और नोएडा स्थित राष्ट्रीय मध्यम अवधि मौसम पूर्वानुमान केंद्र (एनसीएमआरडब्ल्यूएफ) में 8.24 पेटा फ्लॉप्स और 24 पेटाबाइट स्टोरेज के साथ। इसके अतिरिक्त, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग अनुप्रयोगों के लिए 1.9 पेटा फ्लॉप्स की क्षमता वाला एक स्टैंडअलोन सिस्टम भी तैयार किया गया है।
इस परियोजना से पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की कुल कंप्यूटिंग क्षमता 22 पेटा फ्लॉप्स तक बढ़ गई है, जो पहले 6.8 पेटा फ्लॉप्स थी। इन प्रणालियों को सूर्य से जुड़े नाम ‘अर्क’ और ‘अरुणिका’ दिया गया है, जो भारत की तकनीकी और खगोलीय परंपराओं से जुड़ाव को दर्शाता है।
यह नई एचपीसी प्रणाली उच्च-रिज़ॉल्यूशन मौसम पूर्वानुमान मॉडल को सटीक बनाने में मदद करेगी और उष्णकटिबंधीय चक्रवातों, भारी बारिश, सूखे, और अन्य चरम मौसम घटनाओं के पूर्वानुमानों को अधिक प्रभावी बनाएगी। प्रधानमंत्री मोदी ने इस परियोजना के उद्घाटन के दौरान कहा कि यह देश की मौसम और जलवायु पूर्वानुमान क्षमताओं में एक महत्वपूर्ण छलांग है, जो आने वाले वर्षों में जलवायु परिवर्तन और चरम घटनाओं से निपटने में भारत की क्षमता को बढ़ाएगी।