इंदौर: 19 सितंबर को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने मध्य प्रदेश के इंदौर में देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के 14वें दीक्षांत समारोह में भाग लिया। इस अवसर पर राष्ट्रपति ने छात्रों को बधाई दी और दीक्षांत समारोह को उनके भविष्य के लिए संकल्प लेने का महत्वपूर्ण अवसर बताया।
राष्ट्रपति ने छात्रों को उनके भविष्य के फैसलों के प्रति जागरूक किया, यह कहते हुए कि कई लोग पहले ही तय कर चुके होंगे कि वे कौन सा पेशा अपनाने जा रहे हैं या कहां उच्च शिक्षा प्राप्त करेंगे, जबकि कुछ छात्र अभी भी नौकरी, पढ़ाई, उद्यमिता या प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी के बीच असमंजस में होंगे। उन्होंने छात्रों को अपने भविष्य के फैसले सोच-समझकर लेने की सलाह दी, क्योंकि यह उनके जीवन की दिशा तय करेगा।
उन्होंने छात्रों से कहा कि प्रत्येक व्यक्ति की योग्यता और रुचि अलग होती है और उन्हें अपने निर्णय इसी आधार पर लेने चाहिए। साथ ही, उन्होंने ज्ञान की प्रक्रिया को कभी न रोकने की सलाह दी और नवीनतम तकनीक के उपयोग से समावेशी और सतत विकास को बढ़ावा देने का आग्रह किया। राष्ट्रपति ने कहा कि सबके विकास में ही व्यक्ति का विकास छिपा है।
राष्ट्रपति ने विश्वविद्यालय के नाम के प्रति गर्व व्यक्त किया, जो इंदौर की महारानी लोकमाता देवी अहिल्याबाई होल्कर के नाम पर रखा गया है। उन्होंने अहिल्याबाई होल्कर के जीवन को महिला सशक्तिकरण का प्रतीक बताया, जिन्होंने महिलाओं और जनजातीय समाज के उत्थान के लिए कई सफल प्रयास किए। उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हुई कि इस दीक्षांत समारोह में पदक विजेताओं में लड़कियों की संख्या लड़कों से अधिक है, जो महारानी देवी अहिल्याबाई के आदर्शों का प्रतीक है।
समारोह के अंत में राष्ट्रपति ने सभी शैक्षणिक संस्थानों और शिक्षकों से लड़कियों को उच्च शिक्षा और आत्मनिर्भरता की दिशा में प्रोत्साहित करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि अगर हमारी बेटियां बड़े सपने देखें और उन्हें साकार करें, तो शिक्षण संस्थान और शिक्षक सही मायने में देश के विकास में सहभागी बनेंगे।