विकास की राशि को बट्टा लगाते प्रधान प्रतिनिधि, महिला प्रधान बनी कठपुतली

*परफॉर्मेंस ग्रांट और अन्य मदों की धनराशि विकास कार्यों में ना लगाते हुए अपने ऊपर खर्च कर रहे जनप्रतिनिधि

मथुरा (सतीश मुखिया)-  देश के प्रधानमंत्री और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समाज के अंतिम व्यक्ति के विकास हेतु भरसक प्रयत्न कर रहे हैं लेकिन भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ गांव और पंचायतो में उनका प्रयास असफल होता दिखाई दे रहा है। भगवान श्री कृष्ण की नगरी मथुरा को गत वर्षो में 77 करोड़ की धनराशि परफॉर्मेंस ग्रांट के तहत प्राप्त हुआ।जिसमें जिले की पांच पंचायतो तोष,अडींग
ततरोता बांगर ,पैगांव और नगला हुमायूं देह शामिल थी ।जिससे प्रदेश सरकार और पंचायत राज विभाग द्वारा 26 बिंदुओं को मुख्य केंद्र में रखकर इन पंचायत का विकास कराया जाना था लेकिन ऐसा लगता है यह विकास सिर्फ कागजों तक सीमित रह गया और परफॉर्मेंस ग्रांट के तहत मिली धनराशि प्रधानपतियों, पुत्रों और प्रतिनिधियों ने ग्राम पंचायत सचिवों के साथ मिलकर खुर्द बुर्ध/ गबन कर ली और उस धनराशि को बट्टे खाते लगा दिया गया।


परफॉर्मेंस ग्रांट ,मॉडल पंचायत और तोष पंचायत
इस पंचायत की वर्तमान प्रधान श्रीमती विमलेश सिंह हैं और इसकी आबादी लगभग 3000 के आसपास है। इस पंचायत में सभी जातियों के लोग रहते हैं। यह पंचायत खंड: मथुरा, विधानसभा: गोवर्धन ,जिला: मथुरा, उत्तर प्रदेश के अंतर्गत आती है।इसकी मथुरा शहर से दूरी 10 किलोमीटर के आसपास है और इसके आसपास राल , खामिनी और मोरा पंचायत है। इस पंचायत को इस पंचवर्षीय योजना के तहत 12 करोड़( लगभग) की धनराशि विभिन्न मदो से प्राप्त हुई जिसके द्वारा पंचायत का विकास कराया जाना था लेकिन विभागीय अधिकारियों की मिली भगत और प्रधान प्रतिनिधि द्वारा विकास कार्यों में रुचि न लेने के कारण यह पंचायत विकास के पैमाने पर कही पीछे छूट गई लगती है। पेश है , जमीनी हकीकत बयां करती एक विशेष रिपोर्ट

जहां देखो वही समस्याओं का अंबार,परफॉर्मेंस ग्रांट बना अपने आप में अभिशाप
हर किसी का सपना होता है कि वह सरकार से परफॉर्मेंस ग्रांट प्राप्त करें और उस ग्रांट के द्वारा अपनी पंचायत का विकास उच्चतम स्तर पर करके दिखाएं जिससे कि वह प्रदेश और देश में एक मिसाल बन सके लेकिन तोष ग्राम पंचायत को परफॉर्मेंस ग्रांट मिलना और मॉडल पंचायत में चयनित होना ही अपने आप में अभिशाप साबित हो रहा है। इस पंचायत में भ्रष्टाचार,भय, धनराशि का बंदरबाट और कागजो पर विकास कार्य साफ नजर आते है लेकिन जब आप मथुरा गोवर्धन मुख्य मार्ग से गांव के अंदर जाएंगे तब आपको दिखाई देगा कि जगह-जगह नालियां भरी हुई है और साफ सफाई करने के लिए कर्मचारी आते ही नहीं है, श्मशान घर जहां जाति होती है ,ना पाती होती है और सब बराबर होते हैं उसकी दीवार भी टूटी हुई है, गांव में तालाब के अंदर गंदा पानी भरा हुआ है और हर जगह कूड़ा कचरो का ढेर लगा हुआ है, स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने हेतु खोला गया आरोग्य केंद्र बंद पड़ा हुआ है और अपनी बदहाली पर रो रहा है।यहां के ललित कुमार अग्रवाल, प्रभारी, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का नाम बड़े अक्षरों में अंकित किया हुआ है, स्वास्थ्य केंद्र के नजदीक बच्चों के लिए लगे हुए झूले टूटी हुई अवस्था में यहां वहां बिखरे हुए पड़े हैं, सामुदायिक शौचालय अक्सर बंद रहता है और जिस पंचायत भवन पर विकास की जिम्मेदारी है वहां पर पंचायत का कोई अधिकारी बैठता ही नहीं है तब आप कैसे उम्मीद कर सकते हैं कि यह पंचायत अपने आप को एक मॉडल के रूप में सिद्ध करेगी और अन्य पंचायत के लिए एक प्रेरणा के रूप में कार्य करेगी। जब इस मुद्दे पर रघुवीर सिंह,पंचायत सचिव से बात की गई तो उन्होंने कहा अरे सर कहां बैठते हैं इतना टाइम कहां है….!

जमीनी हकीकत और कागजों में हुए विकास कार्यों में जमीन आसमान का अंतर…
प्रधान पति द्वारा कागजी कार्य कागजों को पूरा करते हुए दिखाई पड़ते हैं लेकिन विकास जमीन पर उतरने में नाकामयाब होता दिखाई दे रहा है । स्थानीय लोगो ने बताया कि परफॉर्मेंस और अन्य योजनाओं से ग्राम वासियों के विभिन्न कार्य होने थे। जिसमें पेयजल हेतु चार बोरिंग का प्रस्ताव पास हुआ है लेकिन ग्राम प्रधान ने अपनी निजी जमीन में उक्त बोरिंग लगवा ली है जिससे ग्राम वासियों को कोई भी पेयजल की सुविधा उपलब्ध नहीं है ।इसी ग्रांट से दो आर ओ प्लांट का भी निर्माण कराया गया था, उनका भी संचालन आज तक नहीं हुआ है एवं साफ सफाई के लिए 1 ट्रैक्टर ट्राली, 1 ई-रिक्शा भी खरीदा गया था। उसका भी आज तक कोई संचालन सफाई के लिए नहीं किया गया है और वह उसे अपने निजी कार्यों में उपयोग कर रहे हैं। इन लोगों ने आरोप लगाते हुए बताया कि 15वां वित , एस वी एम अतिरिक्त ग्रांट,मनरेगा योजना के अंतर्गत Rs 6,45, 032 /–धनराशि से इन लोगों ने हेड पंप को रिबौर कराया जबकि मौके पर एक भी हैंडपंप को भी बोर नहीं कराया गया और जिस फर्म का इन्होंने बिल लगाया है वह फर्म बिल्डिंग मटेरियल का सामान बिक्री करती है ना कि हेड पंप रिबोर करने का, गांव में 120 स्ट्रीट लाइटों को लगवाने हेतु बिल पेमेंट किया गया है लेकिन गांव में कहीं पर भी स्ट्रीट लाइट नजर नहीं आती है, पंचायत के लिए 16 लाख की तीन बड़ी लाइट मंजूर हुई थी और 10 छोटे लिए पिछली पंचवर्षीय योजना में मंजूर हुई थी लेकिन इनमें से एक भी लाइट आज तक गांव में नहीं लगी है। इस पंचायत के विकास कार्यों में अनियमिता की भरमार है और आपको भ्रष्टाचार की बू साफ नजर आती है कि कैसे प्रधान पति और सचिव द्वारा आपसी तालमैल बैठाकर गरीब आम जनता के लिए सरकार द्वारा भेजी गई विकास राशि को इन लोगों ने आपस में खुर्द बुद्ध कर लिया है और कागजी कोरम को पूरा करते हुए अपने आप को स्वच्छ और ईमानदार बताने की कोशिश कर रहे हैं। यहां पर लोगों ने कहा कि गत वित्तीय वर्ष 21, 22 ,23 में भी वह कार्य दोबारा से करा दिए गए जो कार्य पहले भी हो चुके हैं। ग्राम वासियों ने बताया कि रघुवीर सिंह ,पंचायत सचिव कहते है कि मुझ जैसा कट्टर ईमानदार आदमी आपको कोई दूसरा नहीं मिलेगा, जबकि यह बार-बार पुराने कार्यों को नया दिखाते हुए उन पर भुगतान दिखा रहे हैं।

प्रस्तावित बारात घर बना प्रतिष्ठा का प्रश्न , एक दूसरे पर आरोपो की बौछार
सरकार द्वारा लगभग 3 करोड़ की लागत से गांव में बारात घर बनना मंजूर हुआ है जिसको लेकर प्रधान पक्ष और स्थानीय निवासी एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगा रहे हैं कि प्रधान पति द्वारा बारात घर को वहां नहीं बनाया जा रहा जहां पर स्थानीय जनता को अधिकतम लाभ होगा। वह आरोप लगा रहे हैं कि प्रधान द्वारा इस बारात घर को अपनी निजी जगह में बनवाया जा रहा है जिससे कि आम जनता को कोई खास लाभ नहीं होगा और प्रधान पति निजी स्वार्थ हेतु उसका निर्माण गलत जगह पर करवा रहा है। जिसकी ना तो कोई खुली मीटिंग की गई , ना मुनादी कराई और ना ही किसी व्यक्ति को सूचना दी गई। प्रधानपति और पटवारी ने सांठ गांठ करके बारात घर बनवाने हेतु अनुचित स्थान को चिन्हित कर दिया है जिसकी हम लोगों के द्वारा योगी आदित्यनाथ, मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश, पंचायत राज अधिकारी, पंचायती राज विभाग,मथुरा, मुख्य विकास अधिकारी,मथुरा विभाग को शिकायत की गई लेकिन हम लोगों की कोई सुनवाई नहीं हो रही है। हम लोगों ने दिनांक 11. 3.2024 ,21 .1. 2025 और तीसरी बार 21.01. 2025 को मुख्य विकास अधिकारी को शिकायत दी और उसके साथ कई शपथ पत्र भी दिए लेकिन आज तक कोई सुनवाई नहीं हो रही है और प्रधान पति द्वारा गुप्त तरीके से जांच करवा कर गलत रिपोर्ट लगवा दी है जिससे संपूर्ण ग्राम वासियों में आक्रोश है कि सरकार द्वारा जो राशि दी जा रही है उसका सही उपयोग हो। जब इस मुद्दे पर प्रधान पक्ष से बात की तो उन्होंने बताया कि जिस जमीन पर इस बारात घर का निर्माण हो रहा है उस जमीन को मैंने दान पत्र लिखकर दान कर दिया है और उसकी कॉपी में आपको भेजता हूं। यह लोग जानबूझकर मुझको परेशान कर रहे हैं और पिछले 20 वर्षों से उनके पास में प्रधानी थी

फर्जी जॉब कार्ड और मजदूरों के सहारे नरेगा की राशि का गोलमाल करते सचिव व रोजगार सेवक गांववासियों ने आरोप लगाया कि महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार योजना (मनरेगा) के अंतर्गत मजदूर और बेरोजगार व्यक्तियों के लिए काम की व्यवस्था सरकार द्वारा की गई है लेकिन इन लोगो द्वारा मजदूर,वंचित वर्ग और बेरोजगार लोगों को काम ना देकर बल्कि अपने सगे संबंधियों व परिवार के सदस्यों का फर्जी जॉब कार्ड बनवाकर गलत तरीके से मनरेगा के नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं। यह लोग मजदूरी का पैसा अपने लोगों के खाते में भुगतान करवा रहे हैं ।गांव में नरेगा के अंतर्गत जो कच्चे व पक्के कार्य किए जाते हैं ,उन्हें मानक के आधार पर नहीं कराया जा रहा है। इन लोगो के द्वारा उच्च अधिकारियों से सांठगांठ करके अपूर्ण कार्य को पूरा दिखा दिया जाता है। इन लोगों ने ऐसे अपात्र व्यक्तियों का जॉब कार्ड बना दिया है जो नरेगा योजना के अंतर्गत पात्र नहीं है ।इन लोगो ने भ्रष्टाचार को चरम सीमा पर पहुंचा दिया है और गरीब तबके के लोगों का आर्थिक और मानसिक शोषण किया जा रहा है। जो लोग इनकी बात नही मानते उन लोगों को यह नरेगा का भुगतान नहीं कर रहे हैं और दबंगता दिखाते हुए कहते है कि हम गांव में इसी तरीके से मजदूर वर्ग के पैसे को खाएंगे और हजम करेंगे, हम अपने उच्च अधिकारियों को मिठाई भी देते हैं जिससे हमारी ही चलती है। आप लोग हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकते , अगर तुम हमारी शिकायत करोगे तो हम आपको इस गांव में नहीं रहने देंगे । ग्रामीणों ने यह भी आरोप लगाया कि जो लोग गांव के बाहर शहरों में रहकर पढ़ाई, नौकरी, व्यवसाय आदि करते हैं उन लोगों का भी फर्जी जॉब कार्ड इनके द्वारा बनवाया हुआ है, इन लोगो ने रोजगार सेवक से चार्ज छीन कर उसे भगा दिया है और अपने हाथ में ले लिया है।यह उसको अपने हिसाब से मैनेज कर रहे हैं। हम सरकार से यह मांग करते हैं कि वह तृतीय पक्ष से नरेगा के द्वारा हुए कार्यों का भौतिक सत्यापन कराए। जिससे कि दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा व कोई विवाद भी नहीं रहेगा।

विवादों से पंचायत सचिव का रहा है चोली दामन का साथ…
रघुवीर सिंह ,ग्राम पंचायत सचिव का विवादों से पुराना नाता रहा है। जब यह ग्राम पंचायत :मोरा वर्ष 2021 में पदस्थापित थे वहां पर भी इनके ऊपर फर्जी कार्य और पुराने कार्यों को दोबारा दिखाने के लिए Rs11.45 लाख धनराशि के गबन करने के आरोप लगे थे और अधिकारियों द्वारा जांच की गई थी लेकिन उस जांच का क्या नतीजा निकला , यह आज तक लोगों को पता नहीं चला। शायद कहीं यह उसी मिठाई का नतीजा तो नहीं जिसकी यह चर्चा बार-बार ग्रामीणों से करते हैं कि उनकी विभाग में बहुत चलती है और कोई उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकता।

गरीब आदमी के लिए घर बना सपना…..
प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के तहत गरीब तबके की लोगों के लिए बनाए जा रहे आवासों में भी भ्रष्टाचार की गूंज साफ सुनाई पड़ रही है।इन लोगों ने बताया कि प्रधान और उसके परिवार जनों ने इन आवंटनों में भी बड़ा गड़बड़ झाला किया है। जिन गरीब लोगों ने उनको मिठाई रूपी डिब्बा सौंप दिया उन लोगों के आवंटन पास हो गए और अन्य गरीब लोगों के आवेदनों को निरस्त कर दिया गया है। आज इस महंगाई के दौर में गरीब आदमी को छत मिलना बहुत मुश्किल काम है हम लोग चाहते हैं कि इस आवंटन प्रक्रिया की भी निष्पक्ष जांच कराई जाए और दोषियों पर उचित कार्रवाई हो।


एक देश,एक कानून फिर आम और खास में अधिकारियों द्वारा अंतर क्यों….                                                                       जनता ने बताया कि अनुदान वर्ष 2016-17 के अंतर्गत खेल मैदान के निर्माण हेतु Rs 14,26,830 /– राशि स्वीकृत हुई और उसका वर्क आर्डर मैं : अनूप सिंह ,गांव व पोस्ट महरौली,तहसील: गोवर्धन ,जिला: मथुरा को दिया गया।जिस जमीन पर इस खेल के मैदान का निर्माण होना था उस जमीन पर हम लोग पिछले 50 वर्षों से निवास कर रहे हैं।जिसका खसरा संख्या 440 रखवा 2.262 हेक्टेयर राजस्व अभिलेखों में बंजर भूमि के रूप में दर्ज है और इस भूमि में से 0.700 हेक्टेयर भूमि खेल के मैदान हेतु चिन्हित की गई है , वर्तमान प्रधान द्वारा हमारे घरों को तुड़वा दिया और नायब तहसीलदार के निर्देशन में राजस्व टीम द्वारा पुलिस बल के सहयोग से खसरा संख्या 440 में रकबा 0.700 हेक्टेयर भूमि को मौके पर चिनांकन कर ग्राम प्रधान को दखल दे दिया गया है लेकिन हम सरकार से यह पूछना चाहते हैं कि हम लोगों से ही कब्जा क्यों हटवाया गया जब कि वर्तमान प्रधान का घर भी खाद के गड्ढों में बना हुआ है जिसका खसरा संख्या 464 और रकबा 0. 231 हेक्टेयर है । इस पर गजेंद्र सिंह द्वारा 47.401 मीटर पर पक्का मकान बनाकर अवैध कब्जा किया हुआ है जो कि वर्तमान प्रधान के पति हैं। क्या हम इस देश के निवासी नहीं है, क्या हम सरकार को कर नहीं देते हैं ।हम बंजर भूमि से कब्जा हटाने को तैयार हैं और फिलहाल यह विवाद न्यायालय में निलंबित है लेकिन क्या प्रदेश सरकार और उनके अधिकारी वर्तमान प्रधान का कब्जा इन खाद के गड्ढों से हटवा पाएंगे यह देखना लाजमी होगा!

जब प्रधानी प्रधानपति, पुत्र और देवर ही चलाएंगे, तो फिर महिला प्रधान का क्या ….
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी महिला सशक्तिकरण हेतु विभिन्न योजनाएं चला रहे हैं और उसी को ध्यान में रखते हुए उन्होंने महिलाओं को पंचायत में 50% आरक्षण दिया लेकिन आज भी यह देखने में आ रहा है कि गांव की प्रधानी उनके पतियों, पुत्रों, देवरो और प्रतिनिधियों द्वारा ही चलाई जा रही है ।आज भी महिलाएं घर से बाहर निकलने में हिचकिचा रही है और घर के कार्यों में ही व्यस्त हैं जब प्रधानी उनको करनी नहीं है और अपने अधिकार ही उनको नहीं पता तो महिलाओं को आरक्षण का झुनझुना देकर क्या मिल रहा है। यह यक्ष प्रश्न हम लोगों के सामने खड़ा हुआ है। क्या देश के प्रधानमंत्री इस गंभीर समस्या को देखेंगे और प्रदेश की सरकारों के आदेश देंगे कि आप महिलाओं की पंचायत और ब्लॉक में उपस्थित शत प्रतिशत दर्ज करवाए। जिससे कि महिलाएं और गांव, पंचायत उनके नेतृत्व में आगे बढ़ सके।

वर्जन
जब इस मुद्दे पर अरुण कुमार उपाध्याय, खंड विकास अधिकारी , मथुरा से बात करने की कोशिश की तब उनका फोन आउट ऑफ कवरेज एरिया बताता रहा!

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