पीएम मोदी के भाषण से मचा बवाल, उठी कार्रवाई की मांग, जानें क्या है मामला

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ‘संपत्ति बांटे जाने’ संबंधी टिप्पणी को लेकर देश के हजारों नागरिकों ने सोमवार (22 अप्रैल) को चुनाव आयोग को पत्र लिखा. ‘वतन की राह में- संविधान बचाओ नागरिक अभियान’ की ओर से लिखे गए इस पत्र पर 17 हजार से ज्यादा लोगों ने साइन किया है.

इन लोगों ने कहा कि चुनाव आयोग को भारतीय जनता पार्टी के स्टार प्रचारक और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ मुसलमानों के खिलाफ उनकी नफरत भरी टिप्पणियों पर कार्रवाई शुरू करनी चाहिए. चुनाव आयोग को लिखे इस पत्र में कहा गया कि ये आपके संज्ञान में पीएम मोदी की तरफ से आदर्श संहिता के उल्लंघन का मामला लाने के लिए है.

आदर्श संहिता में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि कोई भी पार्टी या उम्मीदवार किसी भी ऐसी गतिविधि में शामिल नहीं होगा जो मौजूदा स्थिति को खराब कर सकती है, विभिन्न जातियों, समुदाय, धर्मों के बीच मतभेद पैदा या आपसी नफरत पैदा कर सकती हो. वोट हासिल करने के लिए जाति या सांप्रदायिक भावनाओं की अपील नहीं की जाएगी. चुनाव प्रचार के लिए मस्जिदें, चर्चों, मंदिरों या अन्य पूजा स्थलों का उपयोग नहीं किया जाएगा.

इसमें कहा गया कि रविवार को राजस्थान के बांसवाड़ा में अपनी एक चुनावी सभा में भाषण से पीएम नरेंद्र मोदी ने आदर्श संहिता का खुला उल्लंघन किया. ये ‘सांप्रदायिक भावनाओं’ को भड़काने के साथ-साथ मुसलमानों के खिलाफ हिंदुओं में नफरत को भड़काने और बढ़ाने वाला भी है.

संविधान बचाओ नागरिक अभियान के पत्र में आरोप लगाया गया है कि पीएम मोदी ने मुसलमानों को एक ऐसी आबादी के समान माना है जो अधिक बच्चे पैदा करती है और ‘घुसपैठिया’ हैं. संविधान बचाओ नागरिक अभियान ने निर्वाचन आयोग से प्रधानमंत्री के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है.

प्रधानमंत्री मोदी ने रव‍िवार को राजस्थान की एक चुनावी सभा में कहा था कि अगर कांग्रेस केंद्र में सत्ता में आती है, तो वह लोगों की संपत्ति लेकर मुसलमानों को बांट देगी. मोदी ने यह बात पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के एक बयान का हवाला देते हुए कही, जिसमें उन्होंने कथित तौर पर कहा था कि देश के संसाधनों पर ‘पहला हक’ अल्पसंख्यक समुदाय का है.

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