नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्ष को एक संक्षिप्त संदेश भेजा कि देश के लोग संसद के सदस्यों से बहस और परिश्रम की उम्मीद करते हैं, न कि गड़बड़ी और अशांति की. नए संसद भवन के बाहर मीडिया को संबोधित करते हुए, पीएम मोदी ने कहा कि जनता सांसदों से नारे नहीं, बल्कि सार चाहती है और उन्हें पूरा विश्वास है कि सांसद आम आदमी की अपेक्षाओं को पूरा करेंगे.
पीएम मोदी ने कहा, ‘भारत को एक जिम्मेदार विपक्ष की जरूरत है. लोग नारे नहीं, बहस चाहते हैं, परिश्रम चाहते हैं, संसद में अशांति नहीं. लोग विपक्ष से अच्छे कदमों की उम्मीद करते हैं. यह अब तक निराशाजनक रहा है, लेकिन मुझे उम्मीद है कि यह अपनी भूमिका निभाएगा, लोकतंत्र की मर्यादा बनाए रखेगा.’
कांग्रेस पर परोक्ष प्रहार करते हुए पीएम मोदी ने आपातकाल का जिक्र करते हुए कहा कि नई पीढ़ी कभी नहीं भूलेगी कि संविधान को कैसे नष्ट किया गया था. उन्होंने कहा, ‘कल 25 जून है, जो लोग भारतीय संविधान की गरिमा के प्रति समर्पित हैं और लोकतांत्रिक परंपराओं पर विश्वास रखते हैं, उनके लिए 25 जून एक ऐसा दिन है जिसे कभी नहीं भुलाया जा सकता है. कल भारतीय लोकतंत्र पर काले धब्बे के 50 साल पूरे हो रहे हैं. नई पीढ़ी कभी नहीं भूलेगी कि कैसे आपातकाल की घोषणा के माध्यम से भारतीय संविधान को खारिज कर दिया गया, नष्ट कर दिया गया और देश को जेल में बदल दिया गया.’
पूर्व प्रधानमंत्री (दिवंगत) इंदिरा गांधी ने 25 जून, 1975 को आपातकाल लगाया था. पीएम मोदी ने कसम खाई कि सरकार भारत के लोगों के सपनों और आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए आम सहमति बनाने की कोशिश करेगी. उन्होंने कहा, ‘पिछले 10 सालों में, हमने हमेशा एक परंपरा को लागू करने की कोशिश की है क्योंकि हमारा मानना है कि सरकार चलाने के लिए बहुमत की आवश्यकता होती है, लेकिन देश चलाने के लिए आम सहमति अत्यंत महत्वपूर्ण है. इसलिए, मां की सेवा करना हमारा निरंतर प्रयास रहेगा. हम 140 करोड़ लोगों की आकांक्षाओं और महत्वाकांक्षाओं को पूरा करेंगे. संविधान की पवित्रता को बनाए रखते हुए, हम आगे बढ़ना चाहते हैं.’