पीएम मोदी ने आतंकवाद-उग्रवाद को बताया सबसे बड़ा खतरा, कहा- ‘हमारी एकता ही हमारी ताकत’

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को वर्चुअल रूप से आयोजित ‘वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ’ सम्मेलन को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संबोधित किया। पीएम मोदी ने इस सम्मेलन को विकास से जुड़े मुद्दों पर चर्चा का एक बेहतरीन मंच बताया और ‘ग्लोबल साउथ’ के देशों के सामने आ रही चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित किया।

पीएम मोदी ने कहा कि आतंकवाद, उग्रवाद, और अलगाववाद हमारे समाज के लिए गंभीर खतरा बने हुए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि वैश्विक स्तर पर शासन संबंधी विषयों से निपटने के लिए पिछली शताब्दी में स्थापित संस्थाएं वर्तमान शताब्दी की चुनौतियों का सामना करने में असमर्थ हैं। साथ ही, उन्होंने ग्लोबल साउथ के देशों से आह्वान किया कि उन्हें एक-दूसरे के साथ खड़ा होना चाहिए और साझा लक्ष्यों को हासिल करने के लिए एकजुट रहना चाहिए।

‘हमारी ताकत हमारी एकता में है’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विकासशील देशों में, विशेषकर खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा के क्षेत्रों में वैश्विक अनिश्चितताओं के प्रभावों पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने ग्लोबल साउथ के विकास में पिछड़े देशों से अगले महीने संयुक्त राष्ट्र में ‘भविष्य के शिखर सम्मेलन’ में भाग लेने का आह्वान किया, ताकि वहां ग्लोबल साउथ की आवाज बुलंद हो सके। भारत की ओर से पूर्ण समर्थन और सहयोग का वादा करते हुए मोदी ने कहा कि ग्लोबल साउथ की ताकत एकता में निहित है। उन्होंने कहा, ‘वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट एक ऐसा मंच है, जहां हम उन लोगों की जरूरतों और आकांक्षाओं को आवाज दे रहे हैं जिन्हें अब तक अनसुना किया गया है। हमारी ताकत हमारी एकता में है और इसी एकता की शक्ति से हम एक नई दिशा की ओर बढ़ रहे हैं।’

‘युद्ध की स्थिति ने विकास यात्रा के लिए चुनौतियां पैदा कीं’
पीएम मोदी ने आगे कहा, ‘अगले महीने संयुक्त राष्ट्र में भविष्य का शिखर सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है। इसमें भविष्य के लिए एक समझौते पर चर्चा होने वाली है। क्या हम सब मिलकर सकारात्मक रुख अपना सकते हैं, ताकि इस समझौते में ग्लोबल साउथ की आवाज बुलंद हो? हमारी ताकत, एकता में है और इसी एकता के बल पर हम नयी दिशा की ओर बढ़ेंगे।’

प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि, ‘आज हम ऐसे वक्त में बैठक कर रहे हैं, जब चारों ओर अनिश्चितता का माहौल है। दुनिया अब भी पूरी तरह से कोविड-19 के प्रभाव से बाहर नहीं आई है। दूसरी ओर, युद्ध की स्थिति ने हमारी विकास यात्रा के लिए चुनौतियां पैदा कर दी हैं। हम न केवल जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, बल्कि अब स्वास्थ्य सुरक्षा, खाद्य सुरक्षा और ऊर्जा सुरक्षा को लेकर भी चिंताएं हैं।’

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top