नई दिल्ली: केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने एक बातचीत के दौरान उम्मीद जताई है कि सेमीकंडक्टर विनिर्माण, घरेलू नौवहन को बढ़ावा देने और तिलहन, रबर तथा दालों के आयात में कमी लाने के सरकारी प्रयास रुपये को डॉलर के मुकाबले मजबूत बनाने में मदद करेंगे।
गोयल की यह टिप्पणी एसोचैम द्वारा पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार के वी सुब्रमण्यन द्वारा लिखित पुस्तक “भारत@100: एनविजनिंग टुमॉरोज इकनॉमिक पावरहाउस” के विमोचन समारोह के दौरान की गई। इस पुस्तक में श्री सुब्रमण्यन ने भविष्यवाणी की है कि अगर देश 8 प्रतिशत वार्षिक विकास दर बनाए रखता है, तो भारत 2047 तक 55 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बन सकता है।
भारत की भविष्यवाणी और आर्थिक दृष्टिकोण:
श्री गोयल ने इस अवसर पर कहा कि एक स्थिर अर्थव्यवस्था के सहारे भारत दुनिया की शीर्ष 3 अर्थव्यवस्थाओं में शामिल हो जाएगा। उन्होंने केंद्र के अगले पांच वर्षों में पिरामिड के निचले हिस्से में रहने वाले अंतिम व्यक्ति के लिए बेहतर जीवन स्तर सुनिश्चित करने की बात करते हुए कहा कि सरकार तेल अर्थव्यवस्था को इलेक्ट्रिक मोबिलिटी से बदलने और विनिर्माण में गुणवत्ता को आधार बनाने पर ध्यान केंद्रित कर रही है।
उन्होंने कहा, “सरकार द्वारा उठाए गए कदम, जैसे रक्षा, पारदर्शिता और प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता, मजबूत मुद्रा और व्यापक आर्थिक बुनियादी बातों, भारत को एक विकसित राष्ट्र बनने के लिए प्रेरित करेंगे।”
चीन के विकास और भारत की संभावनाएं:
चीन के तीव्र विकास के संदर्भ में, श्री गोयल ने कहा कि भारत आज उसी स्थिति में है जिसमें चीन 2000-2020 के बीच था, जब चीन ने स्थिर अर्थव्यवस्था और कम मुद्रास्फीति के आधार पर 8 प्रतिशत की वृद्धि की थी। उन्होंने कहा, “हमारी राजनीतिक और सामाजिक समस्याएं अंततः कम हो जाएंगी, हमारी अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ेगी और हम चीन की विकास कहानी को दोहरा सकते हैं।”
नैतिक धन सृजन और निजी निवेश:
नैतिक धन सृजन और निजी निवेश की आवश्यकता पर बोलते हुए, श्री गोयल ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की निजी क्षेत्र और व्यवसायों में धन सृजनकर्ताओं के योगदान को मान्यता देने की प्रतिबद्धता की सराहना की। उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री मोदी रोजगार सृजन में उनकी भूमिका और नागरिकों को सामान और सेवाएं प्रदान करने के लिए धन सृजनकर्ताओं को महत्व देते हैं।”
उन्होंने यह भी कहा कि सीआईआई बजट के बाद हुए सम्मेलन में प्रधानमंत्री के भाषण ने भारत की विकास कहानी में विनिर्माण के महत्व और 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने के लिए स्थिर नीतियों की आवश्यकता को रेखांकित किया है।