– मौसम की चुनौतियों का किया सामना, घोड़े-खच्चरों के लिए भी रसद ढोई
देहरादून। केदारनाथ आपदा में इस बार 15 हजार से भी अधिक लोगों को सकुशल रेस्क्यू कर लिया गया। इस अभियान में जहां एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और अन्य विभागों की अहम भूमिका रही, वहीं इसका श्रेय उन पांच जांबाज पायलेट को भी जाता है जो कि यहां फंसे लोगों को रेस्क्यू कर शेरसी हेलीपैड पर ला रहे थे। इस अभियान के रियल हीरो पॉयलेट कैप्टन जितेंद्र हरजाई रहे। उन्होंने अभियान के दौरान 30 घंटे तक चॉपर उड़ाया और यहां फंसे लोगों को बचाया। कैप्टन जितेंद्र के मुताबिक मौसम अभियान में बाधा बन रहा था और उड़ान की चुनौती भी थी, इसके बावजूद अभियान सफल रहा।
कैप्टन जितेंद्र हरजाई रेस्क्यू अभियान के सूत्रधार भी रहे। वह ट्रांसभारत एवीएशन का चॉपर उड़ाते हैं। उनके मुताबिक 31 मई को जव वह केदारनाथ पहुंचे तो आसमान में बादल आ चुके थे। मौसम पैक होने के बाद वो वहीं रुक गये। रात को बहुत तेज बारिश हुई। एक अगस्त की सुबह लगभग साढ़े पांच बजे गुप्तकाशी वापस लौट रहे थे तो उन्होंने देखा कि केदारनाथ पैदल मार्ग पर कई जगह बड़ी संख्या में लोग एकत्रित हैं। उन्हें रास्ते टूटने का आभास हुआ तो उन्होंने इसकी सूचना ग्राउंड स्टाफ को दी। उन्होंने प्रशासन से बात की तो पता चला कि मार्ग में कहीं भूस्खलन हुआ है।
कैप्टन जितेंद्र के मुताबिक प्रशासन ने आपदा कंट्रोल हिमालय एविएशन के हेलीपैड पर बनाया। इसके बाद लिनचौली से आपरेशन शुरू किया। कैप्टन जितेंद्र हरजाई के सुझाव पर डीएम सौरभ गहरवाल ने एसडीआरएफ ने भीमबली और किरवासा हेलीपैड की मरम्मत की। उनका कहना था कि केदारनाथ से रेस्क्यू करना मुश्किल और देरी का काम था। इस चुनौती को उनके अलावा हिमालयन कंपनी के कैप्टन खान और कैप्टन नहाल और हेरिटेल के कैप्टन प्रताप और कैप्टन बॉबी ने भी स्वीकार किया और उल्लेखनीय योगदान दिया।
कैप्टन जितेंद्र ने डीजीसीए से अतिरिक्त समय फ्लाइंग और लैंडिंग की अनुमति मांगी ताकि अधिक लोगों को रेस्क्यू किया जा सके। इसके बाद पहले दिन सभी चार हेलीकॉप्टर के पायलेट साढ़े चार घंटे तक उड़ान भरते रहे और सभी को सुरक्षित शेरसी के हिमालयन हेलीपैड पर उतारते रहे। इसके बाद एक बार फिर फ्लाईंग एक्सटेंशन लिमिट की परमिशन के लिए कैप्टन जितेंद्र हरजाई ने डीजीसीए के विंग कमांडर मनमीत चौधरी से अनुमति ली। गौरतलब है कि इस अभियान में वायुसेना के चिनकू और एमआई-17 भी पहुंचे थे लेकिन उनको अधिक स्पेस वाला हेलीपैड चाहिए था और केदारनाथ से रेस्क्यू करना कठिन था। ऐसे में शासन प्रशासन को एविएशन कंपनियों पर ही निर्भर रहना पड़ा।
कैप्टन जितेंद्र बताते हैं कि हेलीपैड पर सैकड़ों लोग खड़े थे और सभी पहले रेस्क्यू होना चाहते थे। ऐसे में व्यवस्था की गयी कि सीनियर सिटीजन, बच्चों और महिलाओं को पहले निकाला जाए। इस बीच मौसम पैक हो गया और अभियान रुक गया। उन्होंने बताया कि उनके चॉपर में 6 और अन्य चॉपर में पांच-पांच लोगों को रेस्क्यू किया जा रहा था। बाद में वापसी में ये चॉपर यात्रियों और घोडे-खच्चरों के लिए राशन पानी और खाना लेकर गये।
दिल्ली कैप्टन जितेंद्र हरजाई पिछले पांच साल से केदारनाथ में चॉपर उड़ा रहे हैं। वह सेना से रिटायर्ड हैं और अब तक 5500 घंटे उड़ान भर चुके हैं। उनका कहना है कि आपदा में लोगों की मदद कर सुकून मिला। उनका मानना है कि इंसानियत से बड़ा कोई धर्म नहीं है और मुसीबत में फंसे लोगों की मदद करने से बड़ी कोई सेवा नहीं।