नई दिल्ली। मिसलीडिंग Ads केस में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन नहीं करने पर पतंजलि प्रमुख और योग गुरु रामदेव उनके सहयोगी बालकृष्ण ने अखबारों में सार्वजनिक माफी मांगी है. पतंजलि ने मंगलवार को माफी भी मांगी थी, लेकिन उनके जवाब में कोर्ट ने पूछा था कि क्या माफी भी उतनी ही बड़ी छपवाई जितना बड़ा ऐड था. बुधवार को अखबारों में प्रकाशित सार्वजनिक माफी अखबार के एक-चौथाई पेज को कवर करती है. इसका शीर्षक “बिना शर्त सार्वजनिक माफी” है.
न्यायालय के निर्देशों/आदेशों में कहा गया कि “सुप्रीम कोर्ट में (Writ Petition C. No. 645/2022) चल रहे मामले के मद्देनजर, हम अपनी व्यक्तिगत क्षमता के साथ-साथ कंपनी की ओर से, गैर-अनुपालन के लिए बिना शर्त माफी मांगते हैं.
भवदीय, पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड, आचार्य बालकृष्ण, स्वामी रामदेव, हरिद्वार, उत्तराखंड,” नोट में कहा गया है, “हम 22.11.2023 को बैठक/प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित करने के लिए बिना शर्त माफी मांगते हैं. हम अपने विज्ञापनों को प्रकाशित करने में हुई गलती के लिए ईमानदारी से माफी मांगते हैं. हमारी पूरी प्रतिबद्धता है कि ऐसी गलतियां दोहराई नहीं जाएंगी. हम उचित देखभाल और अत्यंत ईमानदारी के साथ माननीय न्यायालय के निर्देशों और निर्देशों का पालन करने का वचन देते हैं. हम न्यायालय की महिमा को बनाए रखने और माननीय न्यायालय/संबंधित अधिकारियों के लागू कानूनों और निर्देशों का पालन करने का वचन देते हैं.
23 अप्रैल को मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने माफीनामे पर जोर देते हुए सवाल किए थे. न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के भ्रामक विज्ञापनों से संबंधित मामले की सुनवाई की थी.
कोर्ट ने खास तौर से जोर दिया था, कैसा था माफीनामा
दोनों ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने पीठ को बताया कि उन्होंने सोमवार को अपनी ओर से हुई ”गलतियों” के लिए अयोग्य माफी जारी कर दी है. पीठ ने पूछा था, ” कहां प्रकाशित हुआ था?. रोहतगी ने कहा कि देशभर के 67 अखबारों में माफीनामा प्रकाशित किया गया है. पीठ का सवाल था कि “प्रमुखता से?”
पीठ ने वकील से आगे पूछताछ की और निर्देश दिया कि प्रकाशित माफी को रिकॉर्ड पर दर्ज किया जाए. इसने कहा कि वह समाचार पत्रों में प्रकाशित वास्तविक माफी देखना चाहता है.