नई दिल्ली। अयोध्या में भव्य राम मंदिर में प्रभु श्री राम की मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा करवाने वाले मुख्य पुजारी आचार्य लक्ष्मीकांत दीक्षित का आज निधन हो गया. आचार्य ने शनिवार सुबह 6 बजकर 45 मिनट पर वाराणसी में आखिरी सांस ली. परिजनों ने इस बात की जानकारी दी. उन्होंने बताया कि आचार्य 86 वर्ष के थे और वह पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे. परिजनों ने ये भी बताया कि आचार्य का दाह संस्कार मणिकर्णिका घाट पर किया जाएगा.
पुजारी लक्ष्मीकांत के निधन पर PM मोदी ने जताया शोक
आचार्य लक्ष्मीकांत के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शोक जताया है. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफार्म ‘एक्स’ पर पोस्ट कर कहा, देश के मूर्धन्य विद्वान और साङ्गवेद विद्यालय के यजुर्वेदाध्यापक लक्ष्मीकान्त दीक्षित जी के निधन का दुःखद समाचार मिला. दीक्षित जी काशी की विद्वत् परंपरा के यशपुरुष थे. काशी विश्वनाथ धाम और राम मंदिर के लोकार्पण पर्व पर मुझे उनका सान्निध्य मिला. उनका निधन समाज के लिए अपूरणीय क्षति है.
देश के मूर्धन्य विद्वान और साङ्गवेद विद्यालय के यजुर्वेदाध्यापक लक्ष्मीकान्त दीक्षित जी के निधन का दुःखद समाचार मिला। दीक्षित जी काशी की विद्वत् परंपरा के यशपुरुष थे। काशी विश्वनाथ धाम और राम मंदिर के लोकार्पण पर्व पर मुझे उनका सान्निध्य मिला। उनका निधन समाज के लिए अपूरणीय क्षति…
सीएम योगी ने भी जताया दुख
प्रधानमंत्री मोदी के अलावा यूपी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी आचार्य के निधन पर शोक जताया. उन्होंने ‘एक्स’ पर पोस्ट कर कहा, काशी के प्रकांड विद्वान एवं श्रीराम जन्मभूमि प्राण प्रतिष्ठा के मुख्य पुरोहित, वेदमूर्ति, आचार्य श्री लक्ष्मीकांत दीक्षित जी का गोलोकगमन अध्यात्म और साहित्य जगत की अपूरणीय क्षति है. योगी ने कहा, संस्कृत भाषा और भारतीय संस्कृति की सेवा हेतु वे सदैव स्मरणीय रहेंगे.
सीएम योगी ने पोस्ट में आगे लिखा, प्रभु श्रीराम से प्रार्थना है कि दिवंगत पुण्यात्मा को अपने श्री चरणों में स्थान और उनके शिष्यों तथा अनुयायियों को यह दु:ख सहन करने की शक्ति प्रदान करें.
काशी के प्रकांड विद्वान एवं श्री राम जन्मभूमि प्राण प्रतिष्ठा के मुख्य पुरोहित, वेदमूर्ति, आचार्य श्री लक्ष्मीकांत दीक्षित जी का गोलोकगमन अध्यात्म व साहित्य जगत की अपूरणीय क्षति है। संस्कृत भाषा व भारतीय संस्कृति की सेवा हेतु वे सदैव स्मरणीय रहेंगे।
कौन थे आचार्य लक्ष्मीकांत दीक्षित?
बता दें कि आचार्य दीक्षित की गिनती काशी के वरिष्ठ विद्वानों में होती है. आचार्य दीक्षित के द्वारा काशी के 121 ब्राह्मणों ने अयोध्या के भव्य मंदिर में श्रीरामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा करवाई थी. लक्ष्मीकांत दीक्षित मूल रूप से महाराष्ट्र के शोलापुर जिले के रहने वाले थे, लेकिन कई पीढ़ियों से उनका परिवार काशी में रह रहा है. वे सांगवेद महाविद्यालय के वरिष्ठ आचार्य थे.